Smart Farming: बिहार के समस्तीपुर, पूसा स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने इन दिनों ड्रोन तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आईआईटी आधारित खेती की तकनीक पर प्रयोग शुरू करने पर जोर दिया है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने वैज्ञानिकों को भी इसके लिए आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि तकनीक के प्रयोग से ही हम किसानों (Farmers) को लाभ पहुंचा सकते हैं.

फसल करेगा किसानों की फसलों की भविष्यवाणी

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उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के एक्सपेरिमेंटल फील्ड में आईसीएआर -एआईसीआरपी (फल) एवं एनआरसी, केला के सौजन्य से डेटा संचालित स्मार्ट खेती के लिए एक मशीन लगाया गया, जिसका नाम 'फसल' (Fasal) है. उन्होंने कहा कि फसल किसानों की फसलों की भविष्यवाणी करेगा.

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सोलर पावर से चलती है यह मशीन

उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह मशीन सोलर (Solar Power) द्वारा संचालित होती है. इस मशीन के अंदर सिम लगी हुई है, जिसमें कई सेंसर लगे हुए हैं, जिसके माध्यम से यह मशीन फसल के आस पास का माइक्रो और मैक्रो क्लाइमेट (जलवायु) से संबन्धित अलग-अलग पैरामीटर जैसे तापक्रम, आद्रता, हवा का दबाव, हवा की गति, सूर्य का प्रकाश, वर्षा व वर्षा के दिन, पत्ती की नमी, मृदा की नमी, मृदा का तापमान, मिट्टी की नमी, वर्षा के साथ-साथ केला फसल के आदर्श विकास स्थितियों और संसाधन जरूरतों की भविष्यवाणी करने के लिए खेत स्तर के डेटा का उपयोग करता है. यह मशीन सिंचाई, रोग एवं कीड़ों से बचाव के लिए छिड़काव, उर्वरक का प्रयोग के विषय में भी जानकारी देगी.

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उन्होंने कहा कि इस मशीन के अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के एक्सपेरिमेंटल फील्ड में लगने से रोग और कीड़े से संबन्धित अनुसंधान को एक नया आयाम मिलेगा. इस मशीन के लग जाने से वातावरण के अलग-अलग पैरामीटर और केला के पौधों के बीच के संबंध को समझने और नए-नए अनुसंधान की योजना में सहूलियत मिलेगी.

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फसल से मिलेगी ये जानकारी

डॉ एस के सिंह ने बताया कि यह मशीन फसल प्रणाली लगातार यह सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी में पानी की उपलब्धता की जांच करती है कि फसल की सिंचाई की जरूरत हर समय फसल, उसकी अवस्था और मिट्टी की विशेषताओं के आधार पर पूरी हो. फसल आपको भविष्य के मौसम के जोखिमों के लिए अच्छी तरह से तैयार रखने के लिए अगले 14 दिनों के लिए खेत-विशिष्ट सूक्ष्म-जलवायु पूवार्नुमान प्रदान करता है, जिसकी वजह से बागवानी को अपनी फसल से संबन्धित कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने मे सहूलियत होती है. फसल किसान की फसलों और गतिविधियों की दैनिक प्रगति भी बताती है.

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