सरकार ने किसानों को दिया तोहफा, अब झींगा फसल का भी होगा बीमा, शुरू हुई नई स्कीम
Shrimp Crop Insurance scheme: झींगा पालकों को नुकसान से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने झींगा फसल बीमा योजना (Shrimp Crop Insurance scheme) लॉन्च किया.
Shrimp Crop Insurance scheme: केंद्र सरकार ने झींगा पालन करने वाले किसानों को बड़ा तोहफा दिया है. केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने आईसीएआर-सीआईबीए (ICAR-CIBA) के सहयोग से एग्री इंश्योरेंस कंपनी (AIC) द्वारा विकसित झींगा फसल बीमा योजना (Shrimp Crop Insurance scheme) को लॉन्च किया. इससे झींगा पालन करने किसानों को फायदा होगा.
आपको बता दें झींगा पालन (Shrimp Farming) एक जोखिम भरा बिजनेस माना जाता है क्योंकि क्रस्टेशिया में सफेद दाग रोग, सफेद मल सिंड्रोम, सफेद पूंछ रोग, ढीला खोल, धीमी वृद्धि और मृत्यु सिंड्रोम जैसी बीमारियों का खतरा होता है. इन रोगों के लगने पर झींगा पालकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है.
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केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने गुरुवार को गुजरात के नवसारी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में आईसीएआर-सीआईबीए (आईसीएआर-केंद्रीय खारा जल मत्स्य पालन संस्थान) झींगा किसान सम्मेलन- 2023 के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया. गुजरात के तटीय जिलों में लगभग 410 एक्वा किसानों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया.
PMMSY के तहत झींगा प्रोजेक्ट का रास्ता खुला
परशोत्तम रुपाला ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए 20,050 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY) को मंजूरी प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के प्रति आभार व्यक्त किया. इसके माध्यम से झींगा प्रजनन के लिए राष्ट्रीय आनुवंशिक सुधार सुविधा केंद्र स्थापित करने के लिए PMMSY के तहत 25 करोड़ रुपये के खर्च से पेनियस इंडिकस (भारतीय सफेद झींगा के लिए आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम)-चरण-1 पर आईसीएआर-सीआईबीए द्वारा कार्यान्वित एक परियोजना को विकसित करने का रास्ता खुला. रुपाला ने झींगा में ईएचपी रोग का नियंत्रण करने के लिए चिकित्सीय ईएचपी-क्यूरा-1 (EHP-Cura-I) विकसित करने के लिए सीआईबीए के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दीं.
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भारतीय झींगा से किसानों को होगा फायदा
झींगा 35,000 करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात में लगभग 70 प्रतिशत का योगदान देने वाला प्रमुख वस्तु है. हालांकि, हाल के वर्षों में इक्वाडोर से झींगा की अधिक मात्रा में आपूर्ति होने के कारण, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय झींगा के आयात में गिरावट दर्ज की जा रही है जिससे स्थानीय स्तर पर बाजार मूल्य कम हो गया है. एसपीएफ टाइगर झींगा और आनुवंशिक रूप से उन्नत भारतीय सफेद झींगा जैसी अन्य प्रजातियों के साथ खारे पानी में जलीय कृषि का विविधीकरण करने से आने वाले दिनों में भारतीय झींगा किसानों को फायदा दिला सकता है.
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