इस मोटे अनाज की खेती से किसान बन जाएंगे मालामाल; 80 दिनों में तैयार हो जाती है फसल, औषधीय गुणों से है भरपूर
Foxtail millet Farming: यह कम समय में पकने वाली फसल है. यह 80 दिन में ही पक कर तैयार हो जाती है. खास बात यह है कि इसमें कम खाद और पानी की जरूरत पड़ती है. इस फसल से किसान मालामाल बन सकते हैं.
Foxtail millet Farming: किसान एक बार फिर श्रीअन्न (Shree Anna) की खेती की ओर लौटने लगे हैं. इस कड़ी में जायद और खरीफ में श्रीअन्न की फसल भी लहलहाएगी. राजेन्द्र कौनी-1 कंगनी की एक किस्म है. यह कम समय में पकने वाली फसल है. यह 80 दिन में ही पक कर तैयार हो जाती है. खास बात यह है कि इसमें कम खाद और पानी की जरूरत पड़ती है. इस फसल से किसान मालामाल बन सकते हैं.
राजेन्द्र कौनी-1, कंगनी की यह किस्म किसानों के लिए उन्नत फसल के रूप में देखी जाने लगी है. कम समय में तैयार होने वाली यह फसल पोषण से भरपूर है. इसे आहार में शामिल कर बच्चे स्वस्थ रह सकते हैं. किसान इसका आसानी से उत्पादन कर सकते हैं.
खेत की तैयारी
आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी अच्छी पैदावार के लिए हल्की दोमट मिट्टी वाली जमीन सबसे अच्छी रहती है. यह दोमट मिट्टी में जहां पानी का निकास अच्छा प्रबंध हो, अच्छी तरह से उगाई जा सकती है. इसे ऊसर मिट्टी में भी उगाया जा सकता है. खेत में एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और दो जुताई कल्टीवेटर से करनी चाहिए.
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बीज दर और बोने की विधि
इसकी अच्छी पैदावार के लिए 4 से 6 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत पड़ती है. बुआई को सीडड्रिल से या हल के पीछे कतार में बीज गिराकर किया जा सकता है. इसके बोने का बेहतर समय मई से जुलाई महीने का होता है.
खाद और सिंचाई
इसकी अच्छी उपज के लिए 40 किग्रा नाइट्रोजन, 20 किग्रा फॉस्फोरस और 20 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. आधी मात्रा नाइट्रोजन की और पूरी मात्रा सुपर फॉस्फेट और पोटाश की, फसल की बुआई करते समय बीज के पास से 4-5 सेमी की दूरी पर कूंड़ बनाकर डालनी चाहिए. जैविक और रासायनिक दोनों ही प्रकार की खाद इसके लिए बेहतर रहती है. बुआई से पहले 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद देना फायदेमंद है. नाइट्रोजन की एक चौथा मात्रा बुआई के 30 दिनों बाद और बाकी एक चौथा मात्रा का बुआई के 50 दिनों बाद खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए. नाइट्रोजन का इस्तेमाल बारिश होने के बाद या हल्की सिंचाई के बाद करना चाहिए.
यह बारिश आधारित फसल है. इसमें सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है. बारिश न होने पर दो हल्की सिंचाई की जा सकती है. पहली सिंचाई बुआई के 30 दिनों बाद और दूसरी सिंचाई बुआई के 50 दिनों बाद करनी चाहिए.
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निराई-गुड़ाई
बीज बोने के 20 दिनों बाद पहली बार निराई-गुड़ाई की जाती है. कतार में फसल होने पर निराई-गुड़ाई हल या हैरो द्वारा की जाती है. कुल मिलाकर दो निराई-गुड़ाई काफी है. राजेन्द्र कौनी-1 में रोग और कीटों द्वारा कोई नुकसान नहीं होता है. इस कारण इसमें पौध संरक्षण की जरूरत नहीं पड़ती है.