Rice Export: सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने सरकार से चावल भूसी के तेल रहित खल या डी-आयल्ड केक (DOC) के निर्यात पर प्रतिबंध को 31 जनवरी, 2025 तक बढ़ाने के अपने फैसले पर एक बार फिर पुनर्विचार करने की अपील की है. उद्योग निकाय का तर्क है कि निरंतर प्रतिबंध के कारण प्रसंस्करण संयंत्रों का खासकर पूर्वी भारत में बहुत कम उपयोग हो रहा है.

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अपने सदस्यों को लिखे पत्र में एसईए ने पश्चिम बंगाल में चावल भूसी के प्रसंस्करणकर्ताओं की दुर्दशा पर प्रकाश डाला. वहां संयंत्र कम क्षमता पर काम कर रहे हैं या पूरी तरह से बंद हो रहे हैं. एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि यह स्थिति देशभर में चावल भूसी तेल (Rice Bran Oil) के उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है.

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एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने कहा, हम एक बार फिर सरकार से इस मामले पर पुनर्विचार करने और उद्योग, चावल मिल मालिकों, किसानों और राष्ट्र के व्यापक हित में चावल भूसी के तेल रहित खल अथवा डीओसी के निर्यात की अनुमति देने की अपील करते हैं.

उद्योग की चिंताएं निर्यात प्रतिबंध से कहीं आगे तक फैली हुई हैं. चावल भूसी तेल और चावल भूसी डीओसी में डोलोमाइट और मक्का डीडीजीएस जैसे पदार्थों की मिलावट के हाल के मामलों ने उनकी चिंता को बढ़ा दिया है. एसईए ने अपने सदस्यों से कच्चे माल की खरीद में कड़े गुणवत्ता नियंत्रण उपायों को लागू करने का आग्रह किया है.

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उद्योग की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित करते हुए एसईए (SEA) ने जोर देकर कहा, मैं सभी सदस्यों से कच्चे माल की खरीद में सख्त गुणवत्ता नियंत्रण का पालन करने की अपील करता हूं. एसोसिएशन, जो चावल भूसी तेल को एक स्वस्थ विकल्प के रूप में सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है, ने चिंता व्यक्त की कि पूरे उद्योग के प्रयासों को कुछ ‘गुमराह प्रोसेसर’’ द्वारा कमजोर किया जा सकता है.