घरेलू रिफाइनरों को बचाने के लिए SEA ने लगाई गुहार, RBD पामोलिन पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 20% करे सरकार
खाद्य तेल उद्योगों के संगठन ने आरबीडी पामोलिन (RBD Palmolein) पर इम्पोर्ट ड्यूटी 12.5% से बढ़ाकर 20% करने का आग्रह किया ताकि सस्ते आयात को हतोत्साहित और घरेलू रिफाइनरों को संरक्षित किया जा सके.
Edible Oil: खाद्य तेल उद्योगों (Edible Oil Industry) के संगठन एसईए (SEA) ने केंद्र से आरबीडी पामोलिन (RBD Palmolein) पर इम्पोर्ट ड्यूटी 12.5% से बढ़ाकर 20% करने का आग्रह किया ताकि सस्ते आयात को हतोत्साहित और घरेलू रिफाइनरों को संरक्षित किया जा सके. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा को सौंपे गए एक मेमोरेंडम में कहा कि आरबीडी पामोलिन और क्रूड पाम ऑयल (CPO) के बीच इम्पोर्ट ड्यूटी अंतर को कम-से-कम 15% तक बढ़ाया जाना चाहिए. इस ड्यूटी अंतर को 7.5% पर रखना इंडोनेशिया और मलेशिया के रिफाइनरों के लिए वरदान की तरह है.
उन्होंने कहा कि आरबीडी पामोलिन का आयात करना सस्ता है क्योंकि कच्चे पाम तेल की तुलना में इंडोनेशिया द्वारा लगाए आरबीडी पामोलीन पर लगाया गया कर 60 डॉलर प्रति टन कम है. इसकी वजह से बीते दो महीनों में आरबीडी पामोलिन का आयात तेजी से बढ़ा है. उन्होंने कहा कि देश में लगभग 4 लाख टन पामोलिन की ढुलाई हो चुकी है जिससे घरेलू उद्योग क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है.
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RBD पामोलिन पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जाए
झुनझुनवाला ने रिफाइंड पामतेल का आयात बढ़ने से डोमेस्टिक रिफाइनिंग इंडस्ट्री पर पड़ रहे असर का जिक्र करते हुए कहा कि कच्चे पामतेल ड्यूटी में किसी भी बदलाव के बिना, आरबीडी पामोलिन पर इम्पोर्ट ड्यूटी को मौजूदा 12.5% से बढ़ाकर 20% करके ड्यूटी गैप को बढ़ाया जा सकता है.
उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि ड्यूटी में 15% का अंतर होने से पामोलिन आयात कम होगा और उसकी जगह सीपीओ का आयात बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि इससे कुल आयात प्रभावित नहीं होगा और मुद्रास्फीति नहीं बढ़ेगी.इसके विपरीत, इससे देश में रिफाइनिंग मिलें अपनी क्षमता का उपयोग कर पाएंगी और रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी.
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SEA ने यह भी कहा कि घरेलू रिफाइनर बहुत कम क्षमता के उपयोग से बुरी तरह प्रभावित हैं और वह केवल पैकर्स बनते जा रहे हैं जिससे इस क्षेत्र में किया गया भारी निवेश गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है. भारत खाद्य तेल की जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है. वर्ष 2021-22 (नवंबर-अक्टूबर) में आयात पिछले वर्ष के 131.3 लाख टन से बढ़कर 140.3 लाख टन हो गया था.
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