Sarkari Yojana: केंद्र और राज्य सरकारें नई-नई योजनाओं के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. इसकी कड़ी में, बिहार सरकार प्रदेश में औषधीय पौधे और शुष्क बागवानी को बढ़ावा दे रही है. इसके तहत राज्य के सात जिलों में शुष्क बागवानी के तहत पौधे बांटे जाएंगे. राज्य के आठ जिलों में औषधीय खेती की जाएगी. चौथे कृषि रोडमैप में फसल विविधिकरण योजना (Crop Diversification Scheme) के तहत औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने का फैसला लिया है. जलवायु परिवर्तन को देखते हुए राज्य में फसल पद्धति का विकास किया जा रहा है. 

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सुगंधित व औषधीय पौधे और शुष्क बागवानी फसलों के क्षेत्र विस्तार से दक्षिण बिहार में वर्षा आधारित और बिना खेती योग्य जमीन का इस्तेमाल हो पाएगा. ग्रीन एरिया में भी बढ़ोतरी होगी. किसानों की आय भी बढ़ेगी. शुष्क बागवानी के लिए गया, मुंगेर, जमुई, नवादा, औरंगाबाद, कैमूर और रोहतास जिले का चयन किया गया है. औषधीय पौधों के लिए गया, जमुई, नवादा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सुपौल, सहरसा, खगड़िया और वैशाली जिले का चुनाव किया गया है. 

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दो वर्षों में 14 करोड़ रुपये होंगे खर्च

राज्य सरकार ने इस पर दो वर्षों में 14 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला लिया है. इसके लिए पौधे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस देसरी और कृषि विश्वविद्यालयों के जरिए उपलब्ध कराए जाएंगे. 

इन किसानों को ही मिलेगा लाभ

डीबीटी पोर्टल (DBT Portal) पर रजिस्टर्ड किसान ही इसका लाभ ले पाएंगे. पहले आवेदन करने वाले को प्राथमिकता दी जाएगी. औषधीय व सुगंधित पौधे में लेमनग्रास (Lemongrass), पामारोजा, तुलसी, सतावरी और खस लगाए जाएंगे.

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किसानों को न्यूनतम 0.10 हेक्टेयर और अधिकतम 4 हेक्टेयर का लाभ दिया जाएगा. वहीं, शुष्क बागवानी के तहत आंवला, बेल, इमली और कटहल के पौधे लगाए जाएंगे.