मानसून की बारिश ने किसानों को दी खुशखबरी, इस बार धान के पैदावार में 4.3% ज्यादा फसल की उम्मीद
Rice Production of India: इस बार मानसून की बारिश ने किसानों को बड़ी राहत दी है. इस बार की बारिश को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि फसल की पैदावार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा कीमत में बाजारों में बिकेगी.
Rice Production of India: इस बार मानसून की बारिश ने किसानों को बड़ी राहत दी है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय किसानों ने इस बार 36.1 मिलियन हेक्टेयर में चावल की बुआई की है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 4.3% अधिक है. इस बार की बारिश को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि फसल की पैदावार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा कीमत में बाजारों में बिकेगी.
इस बार अच्छे दामों पर बिकेगी फसल इसको लेकर कृषि मंत्रालय ने नए आंकड़े जारी किए हैं. जिसे देख कर ऐसा अनुमान है कि इस बार किसानों को कम कीमत पर अपनी फसल बेचने को मजबूर नहीं होना परेगा. इस बार भारत में किसानों ने 36.1 मिलियन हेक्टेयर (89.2 मिलियन एकड़) में चावल लगाय है, जो पिछले साल की समान अवधि से 4.3% अधिक है. भारत चावल उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया का सबसे ज्यादा बड़े अनाज उत्पादक में आता है. मानसून पर निर्भर है भारत का किसान पिछले महीने, नई दिल्ली ने अपने सबसे बड़े चावल निर्यात श्रेणी ( rice export category) को रोकने का आदेश दिया गया था. इस फैसले के बाद से दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यात द्वारा शिपमेंट लगभग आधा हो जाएगा. जब भारत में आम तौर पर मानसूनी बारिश शुरू होती है भारत के लाखों किसान 1 जून से चावल, मक्का, कपास, सोयाबीन, गन्ना और मूंगफली समेत अन्य फसलें बोना शुरू कर देते है. भारत में ज्यादातर कृषि मानसून पर निर्भर है क्योंकि भारत की लगभग आधी कृषि भूमि में सिंचाई का अभाव है. औसत से 5% ज्यादा हुई मानसूनी बारिश इस बार बारिश की बात करें तो सिर्फ जून और जुलाई को मिलाकर भारत में लगभग मानसूनी बारिश औसत से 5% ज्यादा हुई है. जो जून में सामान्य से 10% कम हो गई, लेकिन जुलाई में औसत से 13% अधिक हो गई. जून में कम बारिश की वजह से कुछ दक्षिणी, पूर्वी और मध्य राज्यों में ग्रीष्मकालीन फसल की बुआई देर से शुरू की गई. जबकि भारत में मानसून सामान्य से लगभग एक सप्ताह पहले पूरे देश में पहुंच गया था. अगस्त में फिर दिखी बारिश की कमी इस महीने बारिश फिर से कम हो गई, अगस्त के पहले 17 दिनों में मानसून औसत से लगभग 40% कम रहा. किसानों ने शुक्रवार तक 18.6 मिलियन हेक्टेयर में सोयाबीन सहित तिलहन की बुआई की थी, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 18.9 मिलियन हेक्टेयर था, मक्का 8.1 मिलियन हेक्टेयर में लगाया गया था, जो एक साल पहले 7.9 मिलियन हेक्टेयर था. कपास का क्षेत्रफल भी थोड़ा कम यानी 12.2 मिलियन हेक्टेयर था.