Natural Farming: प्राकृतिक खेती से किसान की बदली तकदीर, 500 रुपये खर्च कर कमा रहा लाखों
Prakritik Kheti: कुलवंत अपनी पत्नी के साथ प्राकृतिक खेती शुरू करने से पहले सुभाष पालेकर से इस खेती विधि की छह दिन की ट्रेनिंग ली. इसके बाद उन्होंने अपनी 5 बीघा में इस सफलता से किया और अपनी जमीन के साथ ढाई बीघा जमीन और लीज पर लेकर उसमें भी प्राकृतिक खेती (Natural Farming) कर रहे हैं.
Prakritik Kheti: प्राकृतिक खेती (Natural Farming) किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. इस विधि में कम खर्च में किसान भाई मोटा मुनाफा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के कुलवंत राज ने प्राकृतिक खेती से जुड़कर एक नई पहल शुरू की है. कुलवंत अपनी पत्नी के साथ प्राकृतिक खेती शुरू करने से पहले सुभाष पालेकर से इस खेती विधि की छह दिन की ट्रेनिंग ली. इसके बाद उन्होंने अपनी 5 बीघा में इस सफलता से किया और अपनी जमीन के साथ ढाई बीघा जमीन और लीज पर लेकर उसमें भी प्राकृतिक खेती (Natural Farming) कर रहे हैं.
कुलवंत राज कहते हैं कि पहले साल उन्हें इस खेती विधि की पूरी जानकारी न होने की वजह से थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब वे पूरी तरह इस खेती विधि में पारंगत हो गए हैं. उन्होंने बताया कि इस खेती विधि में अब उन्हें पहले के मुकाबले ज्यादा आमदनी हो रही है. इसके अलवा उनके खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है.
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प्राकृतिक खेती को दे रहे बढ़ावा
कुलवंत राज और उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी सिंबलखोला पंचायत के साथ अन्य तीन पंचायतों में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) कर रहे किसानों के लिए मार्गदर्शक का काम कर रहे हैं. साथ ही क्षेत्र के अन्य किसानों को इस खेती विधि से जोड़ने का काम भी कर रहे हैं. कुलवंत बताते हैं कि वे अभी तक इस खेती विधि के प्रति 400 से ज्यादा लोगों को जागरूक कर चुके हैं.
हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, कुलवंत का कहना है कि वे अपने खेतों में उगी हुई सब्जियों को सड़क किनारे ढेला लगाकर बेचते हैं. जब वे सब्जियों को बेचने के लिए रखते हैं तो वे हाथों-हाथ बिक जाती है और उन्हें इसके लिए किसी तरह की मार्केटिंग की जरूरत भी नहीं पड़ती.
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कम लागत में ज्यादा मुनाफा
जो उपभोक्ता प्राकृतिक खेती उत्पाद को एक बार लेता है वह इसे बार-बार लेने आता है और इसके लिए वह ज्यादा दाम देने को भी तैयार हैं. वो एक घंटे में डेढ़ क्विंटल तक सब्जियां बेच देते हैं. उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती (Prakritik Kheti) में 500 रुपये की लागत में 1.35 लाख रुपये की कमाई हुई, जबकि रासायनिक खेती में 15,000 रुपये के खर्च में 1 लाख की आय होती थी.
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