PMFBY: हर साल 5 करोड़ किसान उठा रहे हैं योजना का लाभ, 6 साल में मिला ₹1.25 लाख करोड़ का मुआवजा
PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को खरीफ के लिए अधिकतम 2%, रबी और तिलहनी फसलों के लिए 1.5% और बागवानी फसलों के लिए 5% का भुगतान करना पड़ता है.
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के वर्ष 2016 में शुरू होने के बाद से इसके तहत अब तक किसानों को 1,25,662 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है. PMFBY के तहत, किसानों ने 31 अक्टूबर, 2022 तक कुल 25,186 करोड़ रुपये के फसल बीमा प्रीमियम का भुगतान किया है. कृषि मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत सरकार, प्राकृतिक जोखिमों के कारण फसल नुकसान के एवज में व्यापक बीमा कवच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.
किसानों को 1.25 लाख करोड़ रुपये का भुगतान
महाराष्ट्र के कुछ जिलों में किसानों को बीमा दावों की एक मामूली राशि का भुगतान करने की खबरों पर स्पष्टीकरण देते हुए एक सरकारी बयान में कहा गया है, इस योजना के तहत, पिछले छह साल में किसानों ने प्रीमियम के रूप में 25,186 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. वहीं 31 अक्टूबर, 2022 तक किसानों को उनके दावों के बदले में 1,25,662 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारों ने प्रीमियम के ज्यादातर हिस्से का बोझ उठाया है.
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5 करोड़ किसानों ने उठाया इस योजना का लाभ
इसमें कहा गया है कि PMFBY दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है और आने वाले वर्षों में पहले स्थान पर आने की उम्मीद है. क्योंकि हर साल लगभग 5 करोड़ किसानों के आवेदन इस योजना के तहत प्राप्त हो रहे हैं. मंत्रालय ने कहा, पिछले छह साल में किसानों के बीच योजना की स्वीकार्यता बढ़ी है, वर्ष 2016 में योजना शुरू होने के बाद से गैर-कर्जदार किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की हिस्सेदारी में 282% की बढ़ोतरी हुई है.
फसल बीमा का प्रीमियम
यह योजना बीमा जोखिम आकलन/बोली प्रीमियम दरों पर लागू की जा रही है. हालांकि, छोटे किसानों सहित बाकी किसानों को खरीफ के लिए अधिकतम 2%, रबी खाद्य और तिलहनी फसलों के लिए 1.5% और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए 5% का भुगतान करना पड़ता है.
इन सीमाओं से अधिक प्रीमियम की राशि का बोझ पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 के अनुपात में साझा किया जाता है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच यह यह साझेदारी खरीफ 2020 से 90:10 है.
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