PMFBY: बरसात से कटाई के बाद रखी फसल खराब होने पर मिल सकेगा बीमा क्लेम, 72 घंटे में देनी होगी जानकारी
PMFBY: बारिश की वजह से कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए रखी फसल खराब होने पर किसानों की नुकसान उठाना पड़ेगा. इसकी भरपाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (FMFBY) से हो सकेगी.
PMFBY: भारत में सोमवार से मानसून की वापसी शुरू हो गई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, दक्षिण पश्चिम मानसून दक्षिण पश्चिम राजस्थान के कुछ हिस्सों से लौटना शुरू हो गया. बारिश की वजह से कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए रखी फसल खराब होने पर किसानों की नुकसान उठाना पड़ेगा. इसकी भरपाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (FMFBY) से हो सकेगी. इसके लिए प्रभावित बीमित फसल के लिए किसानों को 72 घंटे के भीतर फसल खराब होने की जानकारी बीमा कंपनी को देनी होगी.
राजस्थान कृषि विभाग ने बीमा कंपनियों को तत्काल सर्वे शुरू करने के निर्देश दिए हैं. बता दें कि कुछ दिन पहले राजस्थान के कुछ हिस्सों में असामयिक बारिश की वजह से खरीफ फसलों के नुकसान होने की आशंका है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत असामयिक वर्षा के कारण फसल कटाई के बाद खेत में सुखाने के लिए रखी फसल को 14 दिन की अवधि में नुकसान होने पर व्यक्तिगत आधार पर बीमा उपलब्ध है. पीएम फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को 72 घंटे के अंदर किसानों को बीमित फसल की जानकारी बीमा कंपनी को देनी होती है.
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यहां करें संपर्क
फसल में हुए नुकसान की सूचना बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर या क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के माध्यम से दी जा सकती है. इसके अलावा, प्रभावित किसान जिले में कार्यरत बीमा कंपनी, कृषि कार्यालय या संबंधित बैंक को भी नुकसान फॉर्म भरकर सूचना दे सकते हैं.
लगातार 13वीं बार देरी से लौट रहा मानसून
आईएमडी के मुताबिक, इस साल मानसून की वापसी में देरी के साथ यह लगातार 13वीं बार है जब मानसून देरी से लौट रहा है. उत्तर पश्चिम भारत से मानसून की वापसी भारतीय उपमहाद्वीप से इसकी वापसी की शुरुआत का प्रतीक है. मानसून की वापसी में किसी भी प्रकार की देरी का मतलब लंबे समय तक बारिश का मौसम बना रहना है जिसका कृषि उत्पादन पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर उत्तर पश्चिम भारत में जहां रबी फसल उत्पादन में वर्षा की अहम भूमिका होती है.
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आम तौर पर दक्षिण पश्चिम मानसून केरल में 1 जून को आता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में छा जाता है. यह 17 सितंबर के आस पास उत्तर पश्चिम भारत से लौटने लगता है और 15 अक्टूबर तक पूरे देश से चला जाता है.