Plant Protection: आलू और सरसों फसल बर्बाद होने का खतरा, नुकसान से बचने के लिए करें ये काम
Plant Protection: मौसम में बदलाव और कोहरा से तापमान में उतार-चढ़ाव की स्थिति बन रही है, जिसकी वजह से किसान भाइयों के खेत में लगे आलू फसल में झुलसा रोगा और सरसों में लाही व आरा मक्खी कीट लगने की संभावना बढ़ गई है.
Plant Protection: मौसम में बदलाव और कोहरा से तापमान में उतार-चढ़ाव की स्थिति बन रही है, जिसकी वजह से किसान भाइयों के खेत में लगे आलू फसल में झुलसा रोगा और सरसों में लाही व आरा मक्खी कीट लगने की संभावना बढ़ गई है. नुकसान से बचने के लिए किसान भाई रोगों व कीटों से आलू (Potato) और सरसों (Mustard) फसल का बचाव कर सकते हैं. आइए जानते हैं कीट और रोग प्रबंधन के जरूरी उपाय.
आलू में झुलसा रोग से बचाव
आलू में झुलसा रोग दो तहत का होता है. पहला- पिछात झुलसा और दूसरा अगात झुलसा.
पिछात झुलसा-
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
इंट्राडे में तुरंत खरीद लें ये स्टॉक्स! कमाई के लिए एक्सपर्ट ने चुने बढ़िया और दमदार शेयर, जानें टारगेट और Stop Loss
Adani Group की रेटिंग पर Moody's का बड़ा बयान; US कोर्ट के फैसले के बाद पड़ेगा निगेटिव असर, क्या करें निवेशक?
टूटते बाजार में Navratna PSU के लिए आई गुड न्यूज, ₹202 करोड़ का मिला ऑर्डर, सालभर में दिया 96% रिटर्न
आलू में यह रोग फाइटोपथोरा इन्फेस्टेन्स नाम फफूंद के कारण होता है. वातावरण का तापमान 10 से 19 डिग्री सेल्सियस रहने पर आलू में पिछात झुलसा रोग के लिए उपयुक्त वातावरण होता है. इस रोग को किसान 'आफत' भी कहते हैं. फसल में रोग का संक्रमण रहने पर और बारिश हो जाने पर बहुत कम समय में यह रोग फसल को बर्बाद कर देता है. इस रोग से आलू की पत्तियां किसाने से सूखती है. सूखे भाग को दो उंगलियों के बीच रखकर रगड़ने से खर-खर की आवाज होती है.
प्रबंधन- फसल की सुरक्षा के लिए किसान 10-15 दिन के अंतराल पर मैंकोजेब 57% घु.चू. 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. संक्रमित फसल में मैंकोजेब और मेटालैक्सिल अथवा कार्बेन्डाजिम और मैंकोजेब संयुक्त उत्पाद का 2.5 ग्राम प्रति लीटर या 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
ये भी पढ़ें- घर की छत पर उगाएं जैविक फल, फूल और सब्जी, सरकार से पाएं 37500 रुपये, ऐसे उठाएं फायदा
अगात झुलसा-
आलू में यह रोग अल्टरनेरिया सोलेनाई नामक फफूंद के कारण होता है. आमतौर पर निचली पत्तियों पर गोलाकार धब्बे बनते हैं जिसके भीतर में कॉन्सेन्ट्रिक रिंग बना होता है. धब्बायुक्त पत्ती पीली पड़कर सूख जाती है. बिहार में यह रोग देर से लगता है, जबकि ठंडे प्रदेश में इस फफूंद के उपयुक्त वातावरण पहले बनता है.
प्रबंधन- फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही जिनेब 75 फीसदी घुलनशील चूर्ण 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर या मैंकोजेब 75 फीसदी घुलनशील चूर्ण 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 फीसदी घुलनशील चूर्ण 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
सरसों के प्रमुख कीट
सरसों के प्रमुख कीट लाही (Aphid) और आरा मक्खी (Sawfly) हैं.
लाही (Aphid)-
लाही सरसरों का एक प्रमुख कीट है. लाही कीट पीला, हरा या काले भूरे रंग का मुलायम, पंखयुक्त और पंखहीन कीट होता है. इस कीट का वयस्क और शिशु कीट दोनों ही मुलायम पत्तियों, टहनियों, तनों, पुष्प क्रमों और फलियों से रस चुसते हैं. इसके आक्रमण से पत्तियां मुड़ जाती है. पुष्पक्रम पर आक्रमण की दशा में फलियां नहीं बन पाती हैं. यह मधु जैसा पदार्थ का त्याग भी करता है, जिस पर काले फफूंद उग जाते हैं. इसके कारण पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया प्रभावित होती है. इसकी मादा बिना कर से मिले शिशु कीट पैदा करती हैं, जो कि 5-6 दिनों में परिपक्व होकर प्रजनन शुरू कर देते हैं. इस प्रकार, इसके आक्रमण की अधिकता होने पर पूरा पौधा ही लाही कीट से ढका दिखाई देता है.
ये भी पढ़ें- शुरू करें मुनाफे वाला ये बिजनेस, हर महीने होगी तगड़ी कमाई
प्रबंधन-
- फसल की बुवाई समय पर करना चाहिए.
- नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग अनुशंसित मात्रा में करें.
- खेत को खर-पतवार से मुक्त रखें.
- खेत में प्रति हेक्टेयर 10 पीला फन्दा का इस्तेमाल करना चाहिए.
- नीम आधारित कीटनाशी एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम का 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए.
- प्रकोप अधिक होने पर रासायनिक कीटनाशी के रूप में ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ई.सी एक मिली प्रति लीटर अथवा थायोमेथाक्साम 25% डब्ल्यू.जी.@ 1 ग्राम प्रति लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एस का 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
आरा मक्खी (Sawfly)-
यह सरसों के वानस्पिक बढ़ोतरी की अवस्था का एक प्रमुख कीट है. वयस्क कीट नारंगी पीले रंग और काले सिर वाले होते हैं. इसकी मादा का ओभिपोजिटर आरी के समान होता है, इसलिए इसे आरा मक्खी कहते हैं. यह पत्तियों के किनारे पर अंडा देती है, जिससे 3-5 दिनों में पिल्लू निकल आते हैं. इसके पिल्लू पत्तियों को काटकर नुकसान पहुंचाते हैं.
प्रबंधन-
- फसल की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए, ताकि मिट्टी में उपस्थित इस कीट का प्यूपा मिट्टी से बाहर आ जाए और नष्ट हो जाए.
- नीम आधारित कीटनाशी एजाडिरेक्टिन 1500 पी.पी.एम का 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए.
- रासायनिक कीटनाशियों में एनवेलरेट 0.4% डी.पी. अथवा मालथियॉन 5% घूल का 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करना चाहिए या ऑक्सीडेमाटॉन मिथाइल 25 ई.सी का 1 मिली प्रति लीटर की दर से फसल पर छिड़काव करना चाहिए.
02:33 PM IST