पीली क्रांति से किसानों की आय होगी दोगुनी, कश्मीर में इस चीज की खेती का रकबा बढ़ा
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Tue, Apr 04, 2023 11:20 AM IST
Yellow Revolution: किसानों की आय (Farmers Income) दोगुनी करने के लिए हजारों हेक्टेयर भूमि को सरसों की खेती (Mustard Cultivation) के तहत लाए जाने से कश्मीर खामोशी के साथ पीली क्रांति (Yellow Revolution) के दौर से गुजर रहा है. पहले कश्मीर में अधिकांश भूमि का उपयोग केवल एक ही फसल धान (Paddy) उगाने के लिए किया जाता था. लेकिन अब किसान देश के अन्य हिस्सों की तरह ही खरीफ और रबी मौसम में फसलें बदल-बदल कर लगा रहे हैं.
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सरसों की खेती का रकबा 5 गुना बढ़ा
किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य के तहत हमने रबी सत्र में सरसों की खेती के रकबे को बढ़ाने की कवायद की. कश्मीर के कृषि निदेशक चौधरी मोहम्मद इकबाल ने भाषा को बताया, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की जलवायु परिस्थितियां विविध हैं. वर्ष 2020-21 के महज 30,000 हेक्टेयर से कृषि विभाग घाटी में सरसों की खेती के रकबे को लगभग पांच गुना बढ़ाने में सफल रहा है. वर्ष 2020-2021 में सरसों की खेती का रकबा सिर्फ 30,000 हेक्टेयर था. वर्ष 2021-2022 में हमने सरसों की खेती के तहत 1.01 लाख हेक्टेयर रकबे को लाने का लक्ष्य निर्धारित किया और हासिल किया. चालू वर्ष 2022-2023 के दौरान हमारे पास 1.40 लाख हेक्टेयर सरसों खेती का रकबा है.
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धान की खेती के रकबे से ज्यादा
सरसों की खेती की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तिलहनी फसल की खेती वाली जमीन धान की खेती के रकबे से ज्यादा है. उन्होंने कहा, हमारे पास धान की खेती के तहत 1.25 लाख हेक्टेयर भूमि है और सरसों खेती का रकबा पहले ही इससे अधिक हो चुका है. जलभराव वाली भूमि को छोड़कर हम अधिक भूमि को सरसों की खेती के दायरे में लाने की कोशिश कर रहे हैं.
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50 से 60 किलो मिल रहा सरसों तेल
सरसों की फसल से लदे खेतों के साथ, घाटी के कई इलाकों में अभी पीली चादर बिछी जान पड़ती है. उन्होंने कहा, फिलहाल खेतों में सरसों के फूल लगे हुए हैं. हम खुश हैं. किसानों को पहला फायदा यह है कि उन्हें बाजार से खरीदने के बजाय अपने खेत से तेल मिल रहा है. पहले एक कनाल जमीन से 30 से 40 किलो तेल की मिलती थी. लेकिन मौजूदा समय में विभाग के मार्गदर्शन से हमें एक कनाल में 50 से 60 किलो तेल मिल रहा है.
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