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किसानों को मालामाल कराएगी मूंग की ये किस्म, 63 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है फसल

Moong ki Kheti: मूंग ग्रीष्म और खरीफ दोनो मौसम की कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है. इसके दाने का इस्तेमाल मुख्य रूप से दाल के लिए किया जाता है जिसमें 24-26% प्रोटीन, 55-60% कार्बोहाइड्रेट और 1.3% वसा होता है. किसान भाई उन्नत किस्मों और उत्पादन की उन्नत तकनीक को अपनाकर बंपर उत्पादन पा सकते हैं.
Updated on: May 06, 2024, 03.26 PM IST
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रोग प्रतिरोधी किस्म

मूंग की नई किस्म MH1142 63 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है. यह मौजेक, पत्ता झूरी, पत्ता मरोड़  जैसे विषाणु रोग तथा सफेद चुर्णी जैसे फफूंद रोगों की प्रतिरोधी है. इस किस्म की बुवाई खरीफ मौसम में आसानी से की जा सकती है. 

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एक साथ पककर तैयार होती है फसल

खरीफ में काश्त की जाने वाली मूंग की इस किस्म की खासियत यह है कि इसकी फसल एक साथ पककर तैयार होती है. इसका पौधा कम फैलावदार, सीधा और सीमित बढ़वार वाला है, जिससे इसकी कटाई आसान हो जाती है. 

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60-70 दिन में तैयार होती है फसल

यह किस्म अलग-अलग राज्यों में 63 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार 12 क्विंटल से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आंकी गई है.

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जीरो टिलेज से बुवाई फायदेमंद

मक्का की हार्वेस्टिंग के बाद हैप्पी सीडर मशीन के माध्यम से जीरो टिलेज तकनीक का उपयोग करते हुए मूंग की बुआई करना फायदेमंद है.

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पराली जलाने की टेंशन खत्म

इससे पराली (फसल अवशेष) भी खेत में ही सड़ जाते हैं और भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ती है. फलस्वरूप मूंग का उत्पादन भी ज्यादा मिलता है.