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शुगर-बीपी के मरीजों के लिए रामबाण है गेहूं की ये किस्में बदलेगी, खेती से होगी बंपर कमाई

खान-पान में गड़बड़ी और रासायनिक खाद, बीज के चलते मधुमेह और हृदय रोग से लोग ग्रसित हो रहे हैं. इसे देखते हुए बिहार सरकार कृषि विभाग पारंपरिक फसलों की किस्मों को बढ़ावा देगी.
Updated on: September 05, 2023, 02.21 PM IST
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गेहूं की इन पारंपरिक किस्मों की खेती

रबी मौसम में गेहूं की पारंपरिक किस्मों सोना-मोती, वंशी, टिपुआ गेहूं को बढ़ावा देने की योजना तैयार की है. गेहूं की पारंपरिक किस्में रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक होती है. (Image- Pexels)

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बीपी, शुगर मरीजों के लिए रामबाण

हूं की ये किस्में मधुमेह, रक्तचाप और हृदय रोग से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद है. गेहूं की पारंपरिक किस्में रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक होती है. इन किस्मों में मुख्यता उच्च प्रोटीन संघटकों में होती है. ये प्राकृतिक रूप से पोषण और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती हैं. (Image- Pexels)

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bihar government to promote sona moti tupua and bansi wheat cultivation farmers to earn more money

ऐसे में कृषि विभाग विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके पारंपरिक गेहूं की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए आगामी रबी सीजन में हरके जिले में दो-दो गांवों का चयन करेगी. (Image- Pexels)

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मौसम के अनुकूल हैं गेहूं की ये किस्में

इन तीनों किस्मों के खेती जैविक विधि से की जाएगी. ये किस्में कम अवधि और उच्च उत्पादकता वाली हैं. जलवायु परिवर्तनों के प्रति सहनशील हैं. ये किस्में समय के साथ स्थानीय वातावरण और पर्यावरण के अनुकूल है. इसमें कम लागत आती है. (Image- Pexels)

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रोग प्रतिरोधी क्षमता ज्यादा

जीवाणु और जैविक उपचारों के बिना संरक्षित रूप से उगाई जा सकती है. इस कारण किसानों को भी इसका फायदा होगा. तीनों किस्मों में रोग प्रतिरोधी क्षमता गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा है. (Image- Pexels)

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कम समय में ज्यादा उत्पादन

ह प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है. पारंपरिक किस्में कम समय में पकती हैं और ज्यादा उत्पादन देती है. इस कारण किसानों को भी इसका फायदा होगा. (Image- Pexels)