उबले हुए चावल के निर्यात पर सरकार ने 20 फीसदी की एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई है. यह ड्यूटी 25 अगस्त से लागू है. कुछ दिनों पहले सरकार ने नॉन-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया था. जानकारों का कहना है कि अल-निनो असर को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है. माना जा रहा है कि घरेलू बाजार में आने वाले समय में चावल की सप्लाई पर असर दिख सकता है. यही वजह है कि सरकार इस तरह के फैसले ले रही है.

उबले चावल का बड़ा निर्यातक

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भारत उबले हुए चावल के बड़े निर्यातकों में एक है. 2022 में सरकार ने 7.4 मिलियन टन उबले हुए चावल का निर्यात किया था. माना जा रहा है कि नॉन-बासमती चावल के निर्यात पर रोक का फैसला नवंबर 2023 तक जारी रह सकता है.

उबले हुए चावल की मांग बढ़ गई थी

जब भारत सरकार ने नॉन-बासमती चावल के निर्यात पर रोक का फैसला किया उसके बाद उबले हुए चावल की मांग बढ़ गई और कीमत में तेजी आने लगी. उबले हुए चावल का भाव रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया. अब निर्यात ड्यूटी लगा देने से इसका रेट पाकिस्तान और थाइलैंड जैसे देशों से निर्यात होने वाले रेट के बराबर हो गया है.

12 साल के हाई पर पहुंचा भाव

यूनाइटेड नेशन फूड एजेंसी की तरफ से जारी होने वाले राइस प्राइस इंडेक्स जुलाई में  12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. इसका बड़ा कारण भारत की तरफ से लगाया गया बैन था जिससे अन्य निर्यातक देशों को एक्सेस डिमांड का सामना करना पड़ा.

दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है भारत

भारत दुनिया में चावल के कुल निर्यात का 40  फीसदी निर्यात करता है. ग्लोबल राइस मार्केट में भारत का अहम योगदान है और यह सबसे बड़ा निर्यातक है. दूसरे नंबर पर थाइलैंड और तीसरे नंबर पर वियतनाम का स्थान आता है. ग्लोबल राइस एक्सपोर्ट में इनका योगदान 15.3 फीसदी और 13.5 फीसदी है. यह रिपोर्ट न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से शेयर की गई है.

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