Paddy Straw: सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन (Crop Residue Management) दिशानिर्देशों को संशोधित किया है. इससे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पैदा होने वाले धान भूसे (Paddy Straw) का किसी और स्थान पर ले जाकर (एक्स-सीटू) प्रबंधन संभव हो सकेगा.

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कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) ने एक बयान में कहा कि संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, धान भूसे (Paddy Straw) की सप्लाई चेन के लिए टेक्नो कमर्शियल पायलट प्रोजेक्ट – लाभार्थी किसानों और धान भूसे का उपयोग करने वाले उद्योगों के बीच द्विपक्षीय समझौते के तहत स्थापित की जाएंगी. इसमें कहा गया कि इन परियोजनाओं में लाभार्थी या एग्रीगेटर के रूप में किसान, ग्रामीण उद्यमी, किसानों की सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन (FPOs) और पंचायतें शामिल हो सकते हैं.

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15 लाख टन धान भूसे किया जाएगा इकट्ठा

मंत्रालय के अनुसार, यह कदम ‘इन-सीटू’ प्रबंधन (उसी स्थान या खेत में प्रबंधन) के साथ ही एक्स-सीटू प्रबंधन का विकल्प भी उपलब्ध कराएगा. इस व्यवस्था के तहत अगले तीन साल के दौरान 15 लाख टन अधिशेष धान भूसे को एकत्र किए जाने की उम्मीद है, जिसे यह व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में खेतों में जला दिया जाता.

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 4,500 टन क्षमता के लगभग 333 बायोमास कलेक्शन डिपो बनाए जाएंगे. इससे पराली जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण काफी कम हो जाएगा और लगभग 9 लाख मानव दिवस के बराबर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

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AIF से मिलेगी वित्तीय सहायता

संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार सरकार, मशीनरी और उपकरणों की पूंजीगत लागत पर वित्तीय सहायता प्रदान करेगी. इसमें कहा गया है कि आवश्यक वर्किंग कैपिटल को या तो उद्योग और लाभार्थी द्वारा संयुक्त रूप से फंडिंग किया जा सकता है या लाभार्थी द्वारा एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF), नाबार्ड (NABARD) या वित्तीय संस्थानों का उपयोग किया जा सकता.

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