Kharif Crops: चालू खरीफ (ग्रीष्म-बुवाई) फसल सत्र 2024-25 में धान की खेती  का रकबा 4.28 फीसदी बढ़कर 3 करोड़ 31.8 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं कपास के रकबे में कमी आई है. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. कृषि मंत्रालय ने बताया कि 12 अगस्त तक धान की बुवाई बढ़कर 3 करोड़ 31.8 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 3 करोड़ 18.2 लाख हेक्टेयर था. धान के रकबे में यह बढ़ोतरी भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा कई क्षेत्रों में व्यापक वर्षा के पूर्वानुमान के बीच हुई है.

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मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू खरीफ सत्र में दलहन (Pulses) का रकबा मामूली रूप से बढ़कर एक करोड़ 17.4 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले की इसी अवधि में एक करोड़ 10.1 लाख हेक्टेयर था. तिलहन (Oilseeds) का रकबा पिछले साल के एक करोड़ 82.2 लाख हेक्टेयर के मुकाबले एक करोड़ 83.7 लाख हेक्टेयर पर अपेक्षाकृत स्थिर रहा.

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कपास का रकबा घटा

कपास (Cotton) बुवाई 12 अगस्त तक घटकर एक करोड़ 10.5 लाख हेक्टेयर रह गई, जबकि पिछले सत्र की समान अवधि में यह एक करोड़ 21.2 लाख हेक्टेयर थी. दलहन में अरहर की बुवाई में वृद्धि देखी गई, जबकि उड़द के रकबे में गिरावट आई. 

मोटे अनाज और गन्ने की बुवाई में मामूली वृद्धि देखी गई। सभी खरीफ फसलों के तहत कुल बुवाई का रकबा पिछले साल के नौ करोड़ 66.4 लाख हेक्टेयर के मुकाबले नौ करोड़ 79.9 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया.

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खरीफ बुवाई का मौसम आमतौर पर मानसून की बारिश के साथ जून में शुरू होता है और कटाई अक्टूबर में शुरू होती है. आईएमडी (IMD) ने अगस्त की शुरुआत में पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में काफी व्यापक वर्षा का अनुमान लगाया है, जो देर से बुवाई के फैसलों को प्रभावित कर सकता है.