पंजाब में जगह की कमी नहीं, केंद्र ने धान भंडारण की चिंताओं को खारिज किया
Paddy storage: राज्य में इस समय 14 लाख टन भंडारण क्षमता है, जो 1 नवंबर तक बढ़कर 16 लाख टन हो जाएगी. प्राइवेटआंत्रप्नयोर गारंटी (PEG) योजना के तहत अतिरिक्त 31 लाख टन क्षमता विकसित की जा रही है.
Paddy storage: केंद्र ने उन खबरों को खारिज किया, जिनमें कहा गया था कि पंजाब में भंडारण जगह की कमी के कारण धान खरीद प्रभावित हो रही है. केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भरोसा दिया कि पर्याप्त भंडारण स्थान बनाना सरकार की जिम्मेदारी है. उन्होंने भंडारण जगह की कमी संबंधी खबरों को खारिज करते हुए इसे निहित स्वार्थों के कारण फैलाई गई गलत सूचना करार दिया.
1 नवंबर तक 16 लाख टन हो जाएगी भंडारण क्षमता
जोशी ने खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा और भारतीय खाद्य निगम (FCI) की चेयरमैन वनिता रतन शर्मा के साथ मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा, कुछ अफवाहें फैलाई जा रही हैं. मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जगह बनाना हमारी जिम्मेदारी है. हम इसका ध्यान रखेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य में इस समय 14 लाख टन भंडारण क्षमता है, जो 1 नवंबर तक बढ़कर 16 लाख टन हो जाएगी. प्राइवेटआंत्रप्नयोर गारंटी (PEG) योजना के तहत अतिरिक्त 31 लाख टन क्षमता विकसित की जा रही है.
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9,819.88 करोड़ रुपये का भुगतान
मंत्री ने बताया कि 3,800 मिल वालों ने धान उठाने के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 3,250 को चावल बनाने के लिए भंडार आवंटित किया जा चुका है. सरकार ने 9,819.88 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जिसमें से 7,641 करोड़ रुपये किसानों तक पहुंच चुके हैं. मंत्रालय ने भंडारण क्षमता और आवाजाही की साप्ताहिक निगरानी के लिए एफसीआई की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई है.
मंत्रालय ने भंडारण क्षमता और ढुलाई योजनाओं की साप्ताहिक निगरानी के लिए एफसीआई की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है। अक्टूबर के लिए 34.75 लाख टन के राष्ट्रीय ढुलाई लक्ष्य में से पंजाब को 40% (13.76 लाख टन) आवंटित किया गया है. केंद्र सरकार मार्च 2025 तक पंजाब से हर महीने 13-14 लाख टन गेहूं निकालने की योजना बना रही है. चावल मिल मालिकों की शिकायतों के समाधान के लिए जल्द ही एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाएगा. मंत्री ने कहा कि सरकार पीडीएस (PDS) के माध्यम से और तमिलनाडु जैसे राज्यों को मांग के आधार पर चावल वितरित कर रही है.
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धान से चावल के उत्पादन में कम आउट-टर्न अनुपात (OTR) पर चिंताओं को संबोधित करते हुए, विशेष रूप से PR-126 किस्म के साथ, जोशी ने कहा कि आईआईटी-खड़गपुर को एक विस्तृत अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा, PR-126 किस्म का उपयोग 2016 से बिना किसी समस्या के किया जा रहा है. राष्ट्रीय ओटीआर मानक किस्म के बावजूद 67 फीसदी पर बना हुआ है.