Litchi Farming Tips: लीची (Litchi) के लिए यह मौसम बेहद नाजुक है. अच्छी उत्पादन के लिए लीची बागों का उचित देखभाल जरूरी है. थोड़ी सी लापरवाही साल भर की मेहनत को बर्बाद कर सकती है. फरवरी-मार्च महीने में लीची में फूल आने लगते हैं. इस वक्त लीची के पेड़ों में कीट और रोग का प्रकोप भी होने की संभावना रहती है. इसलिए लीची की बागवानी करने वाले किसानों को खास ध्यान देने की जरूरत है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लीची में कीटों के प्रकोप को देखते हुए बिहार सरकार कृषि विभाग ने लीची की खेती (Litchi Farming) करने वाले किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. कृषि विभाग के मुताबिक, इस मौसम में लीची में लीची स्टिंक बग, दहिया कीट, लीची माइट और फल और बीज छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है. इससे लीची बागों को बचाने की जरूरत होती है. 

1. लीची स्टिंक बग

इस कीट के नवजात और वयस्क दोनों ही पौधों के ज्यादातर कोमल हिस्सों जैसे कि बढ़ती कलियों, पत्तियों, पत्तीवृत, पुष्पक्रम, विकसित होते फल, फलों के डंठल और लीची के पेड़ की कोमल शाखाओं से रस चूसकर फसल को प्रभावित करते हैं. रस चूसने के चलते फूल और फल काले होकर गिर जाते हैं. इस कीट का प्रभाव बीते कुछ वर्षों में पूर्वी चम्पारण के कुछ प्रखंडों में देखा जा रहा है. कीटनाशक छिड़काव का कीट पर त्वरित 'नॉक डाउन' प्रभाव होता है यानी जल्द मर जाते हैं. अगर कुछ कीट बाग के एक भी पेड़ पर बच गए, तो ये कीट अपनी आबादी जल्दी ही उस स्तर तक बढ़ा लेने में सक्षम होते हैं, जो पूरे बाग को संक्रमित करने के लिए पर्याप्त होता है.

ये भी पढ़ें- Business Idea: घोड़ा, गधा, खच्चर, ऊंट पालने पर सरकार देगी पैसे, ₹10 करोड़ का लोन और ₹50 लाख सब्सिडी, जानिए डीटेल

बचाव के उपाय-

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर की तरफ से लीची स्टिंक बग कीट के नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करने की अनुशंसा की गई है. कीटनाशक का दो छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर करें.

  • थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी (0.5 मिली/लीटर)+ लैम्बडा साइहैलोथ्रिन 5% ईसी (1.0 मिली/लीटर)
  • थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी (0.5 मिली/लीटर)+ फिप्रोनिल 5% एससी (1.5 मिली/लीटर)
  • डाइमेथाएट 30% एससी  (1.5 मिली/लीटर)+ लैम्बडा साइहैलोथ्रिन 5% ईसी (1.0 मिली/लीटर)
  • डाइमेथाएट 30% एससी  (1.5 मिली/लीटर)+ साइपरमेथ्रिन 10% ईसी (1.0 मिली/लीटर)

(नोट- फूल खिलने (परागण) के समय कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करें)

2. लीची में लगने वाले दहिया कीट (Mealy Bug)-

इस कीट के शिशु और मादा लीची के पौधों की कोशिकाओं का रस चूस लेते हैं, जिसके कारण मुलायम तने और मंजर सूख जाते हैं और फल गिर जाते हैं.

ऐसे करें बचाव-

  • बाग की मिट्टी की निकाई-गुड़ाई करने से इस कीट के अंडे नष्ट हो जाते हैं.
  • पौधे के मुख्य तने के नीचे वाले भाग में 30 सेमी चौड़ी अल्काथीन या प्लास्टिक की पट्टी लपेट देने और उस पर कोई चिकना पदार्थ ग्रीस आदि लगा देने से इस कीटे के शिशु पेड़ पर चढ़ नहीं पाते हैं.
  • जड़ से 3 से 4 फीट तक धड़ भाग को चूना से पुताई करने पर भी इस कीट के नुकसान से बचाया जा सकता है.
  • इमिडाइक्लोप्रीड 17.8% एस.एल का 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी या थायोमेथाक्साम 25%WG @ 1ग्राम / 5 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

ये भी पढ़ें- हाई सैलरी वाली नौकरी छोड़ गांव लौटा दंपति, खोला Goat Bank, PM मोदी ने की तारीफ, जानिए सफलता की कहानी

3. लीची माइट-

कीट का वयस्क और शिशु पत्तियों के निचले भाग पर रहकर रस चूसते हैं, जिसके कारण पत्तियां भूरे रंग के मखमल की तरह हो जाती है और अंत में सिकुड़कर सूख जाती है. इसे 'इरिनियम' के नाम से जाना जाता है.

बचाव का तरीका-

  • इस कीट के ग्रस्त पत्तियों और टहनियों को काटकर जला देना चाहिए.
  • इस कीट का आक्रमण नजर आने पर सल्फर 80% घु.चू. का 3 ग्राम या डायकोफॉल 18.5% ई.सी का 3 मिली या इथियॉन 50% ई.सी का 2 मिली या प्रोपरजाईट 57% ई.सी का 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

ये भी पढ़ें- Sarkari Yojana: पॉलीहाउस और शेड नेट में खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, लगाने के लिए 50% सब्सिडी दे रही है सरकार

4. लीची का फल और बीज छेदक-

कीट के पिल्लू नये फलों में घुसकर उसे खाते हैं, जिसके कारण प्रभावित फल गिर जाते हैं. फलों की तुड़ाई देरी से करने या वातावरण में अधिक नमी के कारण पिल्लू फल के डंठल के पास छेदकर फल के बीज और गुद्दे को खाते हैं. उपज का बाजार मूल्य कीट ग्रसित होने के कारण कम हो जाता है.

अपनाएं ये तरीका-

  • बाग की नियमित साफ-सफाई करनी चाहिए.
  • डेल्टा मेथ्रिन 2.8% ई.सी का 1 मिली /लीटर पानी या साईपरमेथ्रिन 10% ई.सी का 1 मिली /लीटर पानी या नोवालुरॉन 10% ई.सी का 1.5 मिली /लीटर पानी के घोल बनाकर फलन की अवस्था पर छिड़काव करना चाहिए.