चेंपा कीट से बर्बाद हो सकती है सरसों की फसल, सरकार ने किसानों को बताए रोकथाम के उपाय
Crop Protection: किसान अगर इन कीटों की रोकथाम के उपाय नहीं करते हैं तो फसलों की पैदावार में काफी कमी होने की संभावना हो जाती है.
Crop Protection: मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण सरसों की फसलों में चेंपा (मोयला) कीट लगने की संभावना जनवरी महीने में बढ़ जाती है. जब औसत तापमान 10 से 20 डिग्री सैल्सियस और मौसम में आर्द्रता ज्यादा होती है तो चेंपा कीट (Chempa Insect) फैलने की संभावना रहती है, जिससे किसानों की फसलों की पैदावार प्रभावित होती है. इसे देखते हुए राजस्थान सरकार के कृषि विभाग ने किसानों (Farmers) को चेंपा कीट की रोकथाम के लिए जरूरी सलाह दी है.
समय रहते चेंपा कीट पर नियंत्रण करें किसान
राजस्थान सरकार कृषि विभाग के मुताबिक, किसान अगर इन कीटों की रोकथाम के उपाय नहीं करते हैं तो फसलों की पैदावार में काफी कमी होने की संभावना हो जाती है, इसलिए किसान कृषि अधिकारी या कृषि पर्यवेक्षक की सिफारिश के अनुसार कीटनाशकों का प्रयोग कर समय रहते इन पर नियंत्रण करें.
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चेंपा कीट प्रकोप का असर
चेंपा कीट का प्रकोप जनवरी माह में ज्यादा होता है, जिसमें हल्के हरे - पीले रंग का कीट छोटे-छोटे समूह में रह कर पौधे के अलग-अलग कोमल भागों, फूलों, कलियों व टहनियों पर रहकर रस चूसता है. रस चूस जाने के कारण पौधें की बढ़ोतरी रूक जाती है, कलियां कम आती है और फलियों के दानों की संख्या में भी कमी आती है जिससे कम पैदावार मिलती है.
चेंपा कीट की रोकथाम के उपाय-
चेंपा कीट का प्रकोप होते ही एक हफ्ते के अंदर पौधे की मुख्य शाखा की लगभग 10 सेमी की लम्बाई में चेंपा की संख्या 20 से 25 तक दिखाई देने पर मेलाथियॉन 5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर में भुरकाव करें या मैलाथियॉन 50 ई.सी. सवा लीटर अथवा डायमेथोएट 30 ई.सी. एक लीटर दवा प्रति हैक्टेयर 400 से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
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