Mushroom Farming: किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है. इसके लिए कई सरकारी योजनाएं किसानों के लिए चलाई गई हैं. वहीं किसान भी अब अपनी कमाई बढ़ाने के लिए पारंपरिक फसलों की जगह पर अधिक कमाई देने वाली फसलों पर जोर दे रहे हैं. इसी क्रम में मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti) किसानों के लिए कमाई बढ़ाने वाली साबित हो रही है. कृषि वैज्ञानिकों ने मशरूम की नई किस्म विकसित है. इस किस्म की खासियत है कि यह जल्द खराब नहीं होती है. इससे किसानों की कमाई बढ़ाने में मदद मिलेगी.

सितंबर में होगी लॉन्च

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जम्मू-कश्मीर का कृषि विभाग एनपीएस-5 (NPS-5) किस्म के मशरूम की खेती (Mushroom Farming) के सफल परीक्षण के बाद इस साल सितंबर में इसके कमर्शियल खेती के लिए इसे बाजार में पेश करेगा. यह नई किस्म उच्च प्रतिरोधी क्षमता वाली है और जल्द खराब नहीं होगी.

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कृषि विभाग के निदेशक, के के शर्मा के मुताबिक, हमारी मशरूम की दूसरी किस्म एनपीएस-5 है. इसका ‘मास्टर कल्चर’ बन रहे हैं. इस साल सितंबर महीने तक किसानों को बीज वितरित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि परीक्षण सफल रहे. 

मशरूम की दूसरी किस्म एनपीएस-5 की खासियतें

मशरूम की नई किस्म एनपीएस-5 कम पानी, अधिक पानी की स्थितियों और कार्बन डाइऑक्साइड की उच्च सांद्रता से प्रभावित नहीं होता है. यह जल्दी खराब भी नहीं होता है. बाजार में मौजूद ज्यादातर मशरूम अगर एक या दो दिन नहीं बिके तो वे बासी हो जाते हैं. लेकिन मशरूम की नई किस्म के साथ ऐसा नहीं है. इसकी गुणवत्ता के कारण, इसका बाजार मूल्य बढ़ेगा और यह अधिक आय करने का मौका मिलेगा. कृषि विभाग जम्मू-कश्मीर में मशरूम क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित करने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रहा है. 

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जब मशरूम अपने ‘शेल्फ लाइफ’ के दौरान भूरे रंग का हो जाता है, तो इसका बाजार में दाम घट जाता है और किसानों और इसके बाजार को घाटा होता है. नई किस्म के मामले में ऐसा नहीं है. जम्मू-कश्मीर में मशरूम की खेती में जोड़े गई नयी विशेषताओं के कारण किसानों को बड़े पैमाने पर फायदा होगा.

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