Makhana ki Kheti: मखाना की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है. कृषि विज्ञानियों ने मखाना की नई प्रजाति तैयार की है, जो बढ़ते तापमान को सह सकेगा. जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के प्रयासों के बीच मखाना (Makhana Farming) के क्षेत्र में नए रिसर्च ने उम्मीदों के द्वारा खोले हैं. मखाना की नई प्रजाति में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होगी. अधिक तापमान सह सकने की क्षमता की वजह से इसकी खेती अन्य प्रदेशों में होने संभावना बढ़ गई है. इससे बुवाई में 40% तक कम बीज लगेगा और 20-25% उत्पादन बढ़ेगा.

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अभी बिहार के अलावा पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में ही मखाना की खेती होती है. नई प्रजाति से मखाना की खेती के नए क्षेत्र विकसित हो सकते हैं. इसके लिए काली व दोमट मिट्टी यानी वैसी मिट्टी जिसमें दो से तीन फुट पानी का ठहराव अप्रैस से जुलाई के बीच रह सके के लिए बेहतर है.

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ज्यादा तापमान में भी होगा बंपर उत्पादन

बिहार सरकार कृषि विभाग के मुताबिक, दरभंगा बिहार मखाना अनुसंधान केंद्र ने सात वर्ष के रिसर्च के बाद मखाने की अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली प्रजाति 'सुपर सेलेक्शन-वन' विकसित की है. मखाने के फूल जून-जुलाई में आते हैं. तब तापमान 34 डिग्री व ज्यादा होता है. सामान्य प्रजाति के मखाने के फूल इस तापमान पर झुलसा रोग की चपेट में आ जाते हैं. इससे उत्पादन दो तिहाई रह जाता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता 20% ज्यादा होने से सुपर सेलेक्शन वन प्रजाति में वह तापमान सहने की क्षमता है और उसके फूल में झुलसा रोग नहीं लगता. 

इसकी गुड़ी (मखाने का फल) से बड़े लावे 70% निकलते हैं, जबकि अन्य प्रजाति में 40 से 50% निकलते हैं. इसमें प्रोटीन 9% है, जबकि स्वर्ण वैदेही प्रजाति में 8.3%. स्वर्ण वैदेही प्रजाति का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 30 क्विंटल है तो सुपर सेलेक्शन वन का 35 से 38 क्विंटल है.

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