Honey Mission: खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष मनोज कुमार ने हरियाणा के कैथल में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) योजना के अंतर्गत 803 लाभार्थियों के लिए 26.45 करोड़ रुपये का मार्जिन मनी अनुदान जारी किया. पीएमईजीपी के अंतर्गत इन लाभार्थियों को उद्योग स्थापित करने के लिए बैंकों द्वारा 86.57 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है. इन लाभार्थियों द्वारा स्थापित इकाइयों के माध्यम से लगभग 6,424 लोगों को अतिरिक्त रोजगार का अवसर प्राप्त होगा. इस अवसर पर मनोज कुमार ने हनी मिशन (Honey Mission) के तहत 40 प्रशिक्षित मधुमक्खी पालकों के बीच 400 मधुमक्खी बक्सों का भी वितरण किया.

मधुमक्खी पालन से किसानों की आय में बढ़ोतरी

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इस अवसर पर कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित आत्मनिर्भर भारत (AtmaNirbhar Bharat) के दृष्टिकोण को साकार करने में पीएमईजीपी (PMEGP) की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आह्वान की गई "स्‍वीट क्रांति" (Sweet Kranti) ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है क्योंकि अब ज्यादा किसान और उद्यमी शहद उत्पादन उद्योग में शामिल हो रहे हैं. केवीआईसी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि मधुमक्खी पालन से किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई है और फसल की पैदावार में 25 से 30% की बढ़ोतरी हुई है.

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1.80 लाख से ज्यादा मधुमक्खी बक्सों का वितरण

हनी मिशन के अंतर्गत खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग किसानों और बेरोजगारों को शहद उत्पादन का प्रशिक्षण दे रहा है, साथ ही मधुमक्खी के बक्सों का भी वितरण कर रहा है. आयोग ने पूरे देश में 1 लाख 80 हजार से ज्यादा मधुमक्खी बक्सों और मधुमक्खी कॉलोनियों का वितरण किया है और 18 हजार से ज्यादा लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया है. केवल हरियाणा में 440 लाभार्थियों को 4,400 मधुमक्खी बक्से वितरित किए गए हैं.

केवीआईसी अध्यक्ष ने दयोरा गांव में आयोजित हनी मिशन संवाद कार्यक्रम में लाभार्थियों से बातचीत की और उनसे सुझाव प्राप्त किए. उन्होंने खादी एवं ग्रामोद्योग संस्थानों का भी दौरा किया और संस्थानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. इस कार्यक्रम में हरियाणा सरकार के अधिकारियों, केवीआईसी कर्मचारियों और स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया.

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बता दें कि ‘हनी मिशन’ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा वर्ष 2017-18 के दौरान शुरू की गई थी. इसका उद्देश्य मधुमक्खी पालन गतिविधियों को बढ़ावा देना और किसानों, आदिवासियों और बेरोजगार युवाओं को स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करना है.

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