Kisan Pathshala: उत्तर प्रदेश में खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए और किसानों (Farmers) को आधुनिकता के साथ नई खेती पर सरकार फोकस कर रही है. इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ट्रेनिंग देने के लिए 'द मिलियन फार्मर्स स्कूल' संचालित कर रही है. इस साल 17,000  ग्राम पंचायतों किसान पाठशाला (Kisan Pathshala) का आयोजन होगा. 

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इस बाबत बहुत पहले लैब टू लैंड का नारा दिया गया था. यह नारा आज भी उतना ही प्रासंगिक है. इस नारे को पहली बार योगी सरकार ने 'द मिलियन फार्मर्स स्कूल' के जरिए साकार किया. इस सिलसिले को जारी रखते हुए सरकार ने खरीफ (Kharif) के मौजूदा और रबी (Rabi) के आगामी सीजन में प्रदेश के 17 हजार ग्राम पंचायतों में किसान पाठशाला (Kisan Pathshala) आयोजित करने का फैसला लिया है. इस पर सरकार करीब 21 करोड़ रुपये खर्च करेगी.

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किसान रहेंगे अपडेट

खेती किसानी के जानकार गिरीश पांडेय ने बताया कि हर क्षेत्र में बेहतरी के बाबत सतत जागरूकता सबसे जरूरी है. इसी जागरूकता से पता चलता है कि किसी क्षेत्र में देश-दुनिया में क्या चल रहा है. और तुलनात्मक रूप से हम कहां हैं? खेतीबाड़ी की बेहतरी और किसानों की खुशहाली के लिए भी जरूरी है कि इससे जुड़ें संस्थानों में क्या अपडेट हो रहा है, यह किसान जानें. इन संस्थानों में जो शोध कार्य हो रहे हैं वह प्रगतिशील किसानों के जरिये आम किसानों तक कैसे पहुचे, इसके लिए किसान पाठशाला का प्रशिक्षण लगातार चल रहा है.

उत्पादन बढ़ाने पर फोकस

कृषि विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, सामयिक फसलों के लिए खेत की तैयारी से लेकर उन्नत प्रजाति के बीज, बीज शोधन, बोआई का समय, खाद-पानी और समय-समय पर फसल संरक्षण के उपायों की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी जाएगी. यही नहीं, 'अंतराष्ट्रीय मिलेट ईयर 2023' के मद्देनजर इस बार मोटे अनाजों की खेती पर भी जोर होगा. अलग-अलग फसलों का जिलेवार प्रति हेक्टेयर, प्रति कुंतल अधिकतम और न्यूनतम उत्पादन का पता लगाने के बाद इन किसान पाठशालाओं (Kisan Pathshala) के जरिए न्यूनतम उत्पादन वाले जिलों में संभव कोशिश करके उत्पादन बढ़ाने पर भी फोकस करेगी.

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बता दें कि लैब टू लैंड नारे को साकार करने के लिए पहले कार्यकाल में 2017-2018 में रबी के सीजन में योगी सरकार ने द मिलियन फार्मर्स स्कूल (किसान पाठशाला) के नाम से एक अभिनव प्रयोग किया था. हर रबी और खरीफ के सीजन में न्याय पंचायत स्तर पर अलग-अलग विषय के विशेषज्ञ किसानों को सीजनल फसल की उन्नत प्रजातियों, खेत की तैयारी, बोआई का सही समय और तरीका और समय-समय पर फसल संरक्षण के उपायों की जानकारी देते हैं.

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