Banana Farming: भारत में केले की खेती (Banan Cultivation) बड़े पैमाने पर की जाती है. इसमें कैल्शियम और फास्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है. फलों का उपयोग पकने पर खाने के लिए कच्चा सब्जी बनाने के अलावा आटा बनाने और चिप्स बनाने के काम आता है. केले की फसल में कई रोग और कीट का हमला होते हैं. अगर इनकी समय पर पहचान कर रोकथाम नहीं किए गए तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केले फसल में सिगाटोका एक प्रमुख रोग है. काला सिगाटोका और पीला सिगाटोका की वजह से केले के पत्ते पर कत्थई और पीला के होने लगते हैं. काला सिगाटोका और पीला सिगाटोका की समय पर पहचान कर इसकी रोकथाम के उपाय करने जरूरी हैं.

काला सिगाटोका

इसका केंद्र हल्का कत्थई रंग का होता है. काला सिगाटोका- मायकेला फिजियेन्सिस नामक फफूंद से लगने वाले रोग है, जिसके लक्षण केले के पत्तियों के निचले भाग पर काला, धब्बा, धारीदार लाइन के रूप में परिलक्षित होता है.

ये भी पढ़ें- मशीन बैंक खोलकर करें कमाई, सरकार दे रही ₹10 लाख

सिगाटोका को रोकने के उपाय

किसान भाई खेत को खरपतवार से मुक्त और साफ-सुथरा रखें

खेत से अधिक पानी की निकासी कर लें

प्रतिरोधी किस्म के पौधे लगाएं

जैव कीटनासी, ट्राइकोडरमा विरीडी एक किलोग्राम 25 किलोग्राम गोबर खाद के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें

रासायनिक फफूंदनाशी कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% घु.चू. 3 ग्राम. प्रति लीटर पानी अथवा मैंकोजेब 75% घु.चू. 2 ग्राम प्रति लीटर पानी अथवा थायोफिनेट मिथाईल 70% घु.चू. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें

ये भी पढ़ें- कुक्कुट पालन प्रोत्साहन योजना: अपना बिजनेस शुरू करने का सुनहरा मौका, सरकार दे रही Subsidy

कीट नियंत्रण

केले में कई कीट लगते हैं जैसेकेले की पत्ती बीटिल (बनाना बीटिल), तना बीटिल आदि लगते हैं. नियंत्रण के लिए मिथाइल ओ-डीमेटान 25 ईसी 1.25 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए या कार्बोफ्यूरान अथवा फोरेट या थिमेट 10 जी दानेदार कीटनाशी प्रति पौधा 25 ग्राम उपयोग करें.