Seafood पर सरकार का बड़ा बयान, भारत के पास एक मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क
Seafood: वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि अलग-अलग सरकारी एजेंसियां नियमित रूप से इनका निरीक्षण करती हैं. यह बयान भारतीय झींगा उद्योग (Indian shrimp industry) में खाद्य सुरक्षा और खराब श्रम स्थितियों का आरोप लगाने वाली कुछ रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में आया है.
Seafood: भारत के पास अपने 548 किस्म के समुद्री भोजन के लिए एक मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क है और यहां मछली प्रोसेसिंग क्षेत्र में विश्वस्तरीय इकाइयां स्थापित की गई हैं. वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि अलग-अलग सरकारी एजेंसियां नियमित रूप से इनका निरीक्षण करती हैं. यह बयान भारतीय झींगा उद्योग (Indian shrimp industry) में खाद्य सुरक्षा और खराब श्रम स्थितियों का आरोप लगाने वाली कुछ रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में आया है.
मंत्रालय ने कहा कि देश की सभी इकाइयां MPEDA (समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के साथ पंजीकृत हैं. वे निर्यात निरीक्षण परिषद (EIC) द्वारा अनुमोदित हैं. इसके अतिरिक्त, 46 स्वतंत्र प्री-प्रोसेसिंग यूनिट्स प्राधिकरण द्वारा पंजीकृत हैं.
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बयान में कहा गया कि झींगा हैचरी (Shrimp Hatcheries) और एक्वाकल्चर फार्म (Aquaculture Farms) उनके संबंधित स्थानों के आधार पर तटीय जलीय कृषि प्राधिकरण (CAA) और राज्य मत्स्य पालन विभागों के साथ पंजीकृत हैं. एमपीईडीए अमेरिका के समुद्री भोजन आयात निगरानी कार्यक्रम (SIMP) सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नियामक प्रावधानों का पालन करने के लिए एक्वाफार्मों का नामांकन भी करता है.
बयान के मुताबिक राज्यों के श्रम विभाग नियमित रूप से जलीय कृषि और फिश प्रोसेसिंग में शामिल संगठित और असंगठित क्षेत्रों की गतिविधियों की निगरानी करते हैं.
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