livestock Census: केंद्र सरकार ने 200 करोड़ रुपये की लागत से 21वीं पशुधन गणना (21st livestock Census) की शुरूआत की. गणना का काम अगले साल फरवरी तक पूरा होगा. इसमें 16 प्रजातियों की 219 नस्लों की गणना की जाएगी. यह रोग मुक्त पशु उत्पाद देश से बाहर पशु उत्पादों के निर्यात में मील का पत्थर साबित होगा. महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के मकसद से 2.5 करोड़ डॉलर की 'महामारी निधि परियोजना' भी शुरू की गई.

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केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने भारत के पशुधन क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने वाली नीतियों को आकार देने में पशुधन गणना की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया. उन्होंने कहा, भारत का पशुधन क्षेत्र न केवल हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है, बल्कि लाखों परिवारों के लिए पोषण, रोजगार और आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है. 21वीं पशुधन गणना हमें पशुधन पर अपडेटेड डेटा प्रदान करेगी, जो सरकार को रोग नियंत्रण, नस्ल सुधार और ग्रामीण आजीविका जैसे प्रमुख मुद्दों को लागू  करने में सक्षम बनाएगी. इस गणना में एकत्र किया गया आंकड़ा पहले से कहीं अधिक सटीक, समय पर और व्यापक होगा.

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मोबाइल ऐप से होगी गिनती

केंद्रीय मंत्री ने इस गणना में लाए गए इनोवेशन पर भी प्रकाश डाला, जैसे कि डेटा कलेक्शन के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और वेब-आधारित डैशबोर्ड के माध्यम से वास्तविक समय की निगरानी, ​​जो डेटा संग्रह पद्धतियों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

30 करोड़ से ज़्यादा परिवारों को शामिल किया जाएगा

21वीं पशुधन गणना में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 30 करोड़ से ज़्यादा परिवारों को शामिल किया जाएगा, जिसमें खानाबदोश समुदाय और चरवाहे शामिल हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत की पशुधन प्रथाओं की विविधता को दर्शाया जा सके. यह गणना पशुधन पालन में लिंग भूमिका, नस्ल प्रबंधन, पशु स्वास्थ्य और उत्पादकता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी.

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पशुधन गणना में 16 प्रजातियों की 219 देसी नस्लों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा, जिन्हें नेशनल ब्यूरो ऑफ एनीमल जेनेटिक्स रिसोर्सेज द्वारा मान्यता प्राप्त है. पशुपालन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले व्यक्ति की लिंग जानकारी एकत्र की जाएगी, जिससे डेटा में एक सामाजिक आयाम जुड़ जाएगा. 21वीं पशुधन गणना अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के दौरान आयोजित की जाएगी.