Ethanol Production: चीनी मिलों के लिए अच्छी खबर है. सरकार ने पिछले साल के प्रतिबंध को पलटते हुए एथेनॉल (Ethanol) आपूर्ति वर्ष (ESY) 2024-25 में एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना रस और चीनी सिरप के इस्तेमाल की मंजूरी दी. सरकार ने दिसंबर 2023 में, घरेलू खपत के लिए पर्याप्त चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए ईएसवाई 2023-24 (दिसंबर-नवंबर) में एथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production) के लिए गन्ना रस या चीनी सिरप के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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खाद्य मंत्रालय के आदेश में कहा गया है, चीनी मिलों और डिस्टिलरी को ओएमसी (तेल विपणन कंपनियों) के साथ समझौते एवं आवंटन के अनुसार ईएसवाई 2024-25 के लिए गन्ना शीरा या चीनी सिरप, बी-हैवी शीरा के साथ-साथ सी-हैवी शीरा से एथनॉल का उत्पादन करने की अनुमति है. खाद्य मंत्रालय और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय समय-समय पर देश में चीनी उत्पादन के साथ-साथ एथनॉल उत्पादन के लिए चीनी के उपयोग की समीक्षा करेंगे, ताकि घरेलू खपत के लिए चीनी की साल भर उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.

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FCI के चावल ऑक्शन में भी हिस्सा ले सकेंगी एथेनॉल कंपनियां

इसके अलावा, सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) के भंडार से अनाज आधारित एथेनॉल डिस्टिलरी को 23 लाख टन तक चावल बेचने की मंजूरी दे दी. इसके साथ ही पिछले साल इस पर लगाई गई रोक हट गई. एक निर्देश के अनुसार, खाद्य मंत्रालय ने एथेनॉल उत्पादकों को खुली बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत ई-नीलामी में भाग लेने और अगस्त और अक्टूबर, 2024 के बीच चावल खरीदने की अनुमति दी है.

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब सरकार 540 लाख टन से अधिक अधिशेष चावल के भंडार की समस्या से जूझ रही है, जिससे आगामी फसल के लिए भंडारण स्थान बनाने के प्रयास तेज हो गए हैं.

मंत्रालय ने कहा, एथेनॉल डिस्टिलरी को उठाने के लिए अधिकतम 23 लाख टन की मंजूरी दी जा सकती है. एथेनॉल बनाने वाली कंपनियां वीकली ई-नीलामी के जरिए चावल खरीद सकती हैं. चावल खरीद तेल विनिर्माण कंपनियों द्वारा एथेनॉल आवंटन के अधीन है. सरकार ने जुलाई, 2023 में एथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production) के लिए चावल की बिक्री रोक दी थी।

एफसीआई (FCI) पिछले जुलाई से अधिशेष सूची का प्रबंधन करने के लिए निजी व्यापारियों को चावल की बिक्री के लिए ई-नीलामी आयोजित कर रहा है. यह कदम जैव ईंधन उत्पादन के लिए खाद्यान्नों के उपयोग पर सरकार के रुख में बदलाव का संकेत देता है क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा चिंताओं को अतिरिक्त भंडार प्रबंधन की आवश्यकता के साथ संतुलित करता है.