केंद्र सरकार ने यहां लॉन्च किया A-HELP प्रोग्राम, जानिए कैसे पशुपालकों को होगा फायदा
A-HELP programme:‘ए-हेल्प’ (A-HELP) प्रोग्राम का उद्देश्य महिलाओं को मान्यता प्राप्त एजेंट के रूप में शामिल करके सशक्त बनाना है.
A-HELP programme: पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने झारखंड में ए-हेल्प (स्वास्थ्य और पशुधन उत्पादन के विस्तार के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट) प्रोग्राम लॉनच किया. ‘ए-हेल्प’ (A-HELP) प्रोग्राम का उद्देश्य महिलाओं को मान्यता प्राप्त एजेंट के रूप में शामिल करके सशक्त बनाना है. झारखंड सरकार में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा, ये एजेंट रोग नियंत्रण, पशु टैगिंग और पशुधन बीमा में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. नई योजना से किसानों के दरवाजे तक पशु चिकित्सा सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी और इससे पशु सखियां सशक्त होंगी. यह सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने, महिला शक्ति के उल्लेखनीय एकीकरण की दिशा में एक कदम है. इसका अनुकरण दूसरे क्षेत्रों में भी किया जा सकता है.
पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार अलका उपाध्याय ने कहा कि पशुधन उत्पादन के स्वास्थ्य और विस्तार के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट (A-HELP) नामक समुदाय- आधारित पदाधिकारियों का यह नया बैंड स्थानीय पशु चिकित्सा संस्थानों और पशुधन मालिकों के बीच रिक्त स्थान को भरने और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया गया है और यह पशुधन संसाधन व्यक्तियों और प्राथमिक सेवा प्रदाताओं के रूप में सेवा प्रदान करेगा.
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इन राज्यों शुरू हो चुका है A-HELP
पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) "ए-हेल्प" (A-HELP) नाम से एक अनूठी पहल शुरू कर रहा है और यह बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड सहित अलग-अलग राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में पहले ही शुरू हो चुका है. पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी), भारत सरकार के तहत डीएएचडी और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के बीच हुए एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से उल्लेखनीय पहल शुरू की है.
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पशु सखियों को मिली A-HELP कीट
इस पशु सखियों को ए-हेल्प किट वितरित की गईं और इस कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों और पशु सखियों सहित 500 से अधिक लोगों की भागीदारी देखने को मिली. यह पहल क्षेत्र में पशुधन स्वास्थ्य, विस्तार सेवाओं और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे संभावित रूप से पशुधन उत्पादकता और ग्रामीण विकास में सुधार देखने को मिलेगा.
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