सरकार ने शुक्रवार को उसना चावल (Parboiled rice) पर निर्यात शुल्क की अवधि अगले साल मार्च तक बढ़ा दी. वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि उसना (सेला) चावल पर निर्यात शुल्क की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने और घरेलू कीमतों को काबू में रखने को चावल की इस किस्म पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क 25 अगस्त से 16 अक्टूबर तक के लिये लगाया गया था.

निर्यात में हिस्सेदारी 25 फीसदी

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इन पाबंदियों के साथ भारत ने सभी तरह के गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है. देश से होने से कुल चावल के निर्यात में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है. इससे पहले सरकार ने जुलाई में  गैर बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला किया था.

गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह देखा गया है कि निर्धारित किस्मों पर प्रतिबंध के बावजूद इस वर्ष चावल का निर्यात अधिक रहा है. 17 अगस्त 2023 तक चावल का कुल निर्यात (टूटे हुए चावल को छोड़कर, जिसका निर्यात बैन है) पिछले वर्ष की इसी अवधि के 6.37 एमएमटी की तुलना में 7.33 एमएमटी रहा और इसमें 15.06% की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

उबले चावल के निर्यात में तेजी आ रही थी

अगस्त में एक रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक, उबले हुए चावल और बासमती चावल के निर्यात में भी तेजी देखी गई है. इन दोनों किस्मों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था. उबले हुए चावल (Parboiled Rice) के निर्यात में 21.18% (पिछले वर्ष के दौरान 2.72 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 3.29 एमएमटी) बढ़ा है, वहीं बासमती चावल (Basmati Rice) के निर्यात में 9.35% की बढ़ोतरी हुई है (पिछले वर्ष के दौरान 1.70 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 1.86 एमएमटी).

(भाषा इनपुट के साथ)

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