सरकार ने भूटान से हर साल मिनिमम इम्पोर्ट प्राइस (MIP) शर्त के बिना 17,000 टन हरी सुपारी के आयात की अनुमति दी. सरकार ने घरेलू किसानों की सुरक्षा करने के उद्देश्य से वर्ष 2017 में हरी सुपारी के आयात पर 251 रुपये प्रति किलोग्राम एमआईपी लगाया था. वहीं, वर्ष 2018 में 251 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक कीमत होने पर किसी भी रूप में सुपारी के आयात की अनुमति दी गई थी. हालांकि, अगर कीमत सीमा से नीचे है तो आयात नहीं किया जा सकता है. MIP वह दर है जिसके नीचे आयात की अनुमति नहीं होती है.

यहां से होगा इम्पोर्ट

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विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार, भूटान से आयात की अनुमति जयगांव के भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के माध्यम से दी जाती है. अधिसूचना में कहा गया, न्यूनतम आयात मूल्य की शर्त के बिना 17,000 टन हरी सुपारी के आयात की अनुमति हर साल एलसीएस जयगांव (आईएनजेआईजीबी) के माध्यम से भूटान से दी जाएगी. इसके लिए डीजीएफटी द्वारा जारी वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र भी अनिवार्य है.

एक सार्वजनिक नोटिस में इसने कहा कि 2022-23 की दूसरी छमाही के लिए 8,500 मीट्रिक टन ताजा ग्रीन सुपारी की मात्रा भूटान से एमआईपी के बिना आयात की जा सकती है. 2023-24 के लिए कुल 17,000 मीट्रिक टन आयात किया जा सकता है.

कर्नाटक सुपारी का सबसे बड़ा उत्पादक

कर्नाटक सुपारी का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके बाद केरल और असम हैं. घरेलू उत्पादकों ने पहले आरोप लगाया था कि SAFTA (दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौता) के तहत उपलब्ध कराए गए कम आयात शुल्क का फायदा उठाकर पड़ोसी देशों से आयात बढ़ रहा है.

SAFTA को 2006 में भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच लागू किया गया था