1 अप्रैल को किसानों को मिली बड़ी खुशखबरी! अब पहाड़ों पर भी हो सकेगी इस फसल की खेती
Soybean Cultivation: प्रोटीन से भरपूर यह किस्म पहाड़ी क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकती है.
Soybean Cultivation: बिना प्रोसेसिंग के सीधे खाए जा सकने वाले सोयाबीन की खेती अब उत्तर भारत के पहाड़ों पर भी हो सकेगी. इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) के वैज्ञानिकों ने लम्बे अनुसंधान के बाद ऐसे सोयाबीन की पहली किस्म विकसित करने में कामयाबी हासिल की है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों का कहना है कि प्रोटीन से भरपूर यह किस्म पहाड़ी क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकती है.
‘एनआरसी 197’ (NRC 197) नाम की इस किस्म को विकसित करने वाले दो सदस्यीय अनुसंधान दल में शामिल प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विनीत कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया, सीधे खाए जा सकने वाले सोयाबीन की किस्में मध्य भारत और दक्षिण भारत के लिए पहले ही विकसित की जा चुकी हैं. यह पहली बार है, जब उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों के लिए इस तरह के सोयाबीन की किस्म विकसित की गई है. उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु के मद्देनजर विकसित ‘NRC 197’ नामक यह किस्म कुनिट्ज ट्रिप्सिन इनहिबिटर (KTI) से मुक्त है.
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KTI फ्री है सोयाबीन की ये किस्म
आईआईएसआर में सोयाबीन (Soybean) की इस किस्म के विकास से जुड़े अनुसंधान में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अनीता रानी भी शामिल थीं. उन्होंने बताया कि आम किस्मों में पाए जाने वाले केटीआई (KTI) के चलते सोयाबीन को सीधे नहीं खाया जा सकता और उसे खाने से पहले उबालने और ठंडा किए जाने की जरूरत होती है. अनीता रानी ने कहा कि अगर केटीआई-युक्त सोयाबीन को बिना इस प्रोसेसिंग से पहले सीधे खाया जाता है, तो इसके पाचन में दिक्कत हो सकती है, लेकिन ‘NRC 197’ के साथ यह समस्या नहीं है क्योंकि यह केटीआई से मुक्त है.
112 दिनों में पककर तैयार हो जाती है फसल
उन्होंने कहा, सोयाबीन की एनआरसी 197 किस्म में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है. इसकी खेती को बढ़ावा देकर पहाड़ी इलाकों में कुपोषण की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है. अधिकारियों ने बताया कि 'NRC 197' की एक खूबी यह भी है कि इसकी फसल पहाड़ी इलाकों में उगाई जाने वाली सोयाबीन (Soybean) की आम किस्मों के मुकाबले जल्दी पक जाती है. यह किस्म पहाड़ी इलाकों में बुआई के बाद 112 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
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उन्होंने बताया कि सोयाबीन की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के 54वें वार्षिक समूह सम्मेलन में 'NRC 197' को उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में उगाए जाने के लिए बाकायदा चिन्हित कर लिया गया है.
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