Bajra Crops: बाजरा राजस्थान की प्रमुख खाद्यान्न फसल है. वर्तमान समय में बाजरा की फसल में तुलासिता रोग, ब्लास्ट रोग और सफेद लट, प्ररोह मक्खी, तना छेदक व कातरा कीट आदि का प्रकोप होता हैं. कृषि विभाग ने खरीफ फसल में बाजरा को कीटों और रोगों से बचाने के लिए किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.

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कृषि विभाग के मुताबिक, बाजरा की फसल को इन कीटों और रोगों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार उपचार करना चाहिए. छिड़काव करते समय किसान हाथों में दस्ताने, चश्मा, मुंह पर मास्क, पूरे वस्त्र पहने तथा इस बात का विशेष ध्यान रखें कि छिड़काव मौसम साफ होने के बाद ही करें.

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तुलासिता रोग से बचाव के उपाय

कृषि विभाग ने जानकारी दी कि तुलासिता रोग से बचाव के लिए जिन खेतों में रोग का प्रकोप दिखाई दे, वहां बुवाई के 21 दिन बाद मैन्कोजेब 2 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें. ब्लास्ट रोग का शुरुआती प्रकोप होने पर इसके नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी या ट्राइफलोक्सीस्ट्रोबिन 25% के साथ टेबुकोनाजोल 50% (75 WG) का 0.05% घोल का छिड़काव करें. यह छिड़काव को 15 दिन बाद दोबारा दोहराएं.

कातरा के नियंत्रण का तरीका

बाजरा में कातरा के नियंत्रण के लिए फसल व फसल के पास उगे जंगली पौधों पर क्यूनालफॉस 1.5% चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करें एवं खेत में लट को आने से रोकने के लिए खेत के चारों ओर खाई खोदकर खाई में क्यूनालफॉस 1.5% चूर्ण भुरक दें ताकि खाई में आने वाली लटें नष्ट हो जाएं 

जहां पानी की उपलब्धता हो वहां क्यूनालफॉस 25 ईसी 625 मिली लीटर या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी एक लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से घोल बना कर छिड़काव करें और खड़ी फसल में सफेद लट व दीमक के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 60 ग्राम सक्रिय तत्व बुवाई के 21 दिन के बाद प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें. 

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प्ररोह मक्खी व तना छेदक के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 40 % के साथ इमिडाक्लोप्रिड 40% WG का 5 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के हिसाब से अंकुरण के 35 दिन बाद प्रयोग करें. फड़का का प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें.