Organic Cow Dung: किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए हिमाचल सरकार ने एक बड़ी पहल की है. हिमाचल प्रदेश की सरकार अब किसानों से जैविक गाय गोबर की खरीद करेगी. इसके लिए टेंडर जारी की गई है. सफल बोलीदाता को बैग, ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज सुविधाएं भी दी जाएगी. प्रदेश सरकार 3 रुपये किलो की दर से जैविक गाय गोबर खरीदेगी.

3 रुपये किलो पर होगी जैविक गाय गोबर की खरीद

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से जैविक गाय का गोबर खरीदने के लिए निविदाएं जारी की गई हैं. उन्होंने कहा कि जैविक खेती (Organic Farming) पर जोर देने के साथ, किसानों की आय (Farmers Income) बढ़ाने के लिए कृषि में हाई-टेक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कृषि को टिकाऊ बनाए रखने के लिए एक किसान परिवार की मासिक आय 20,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- सस्ते में खरीदें आटा और चावल, सरकार ने Bharat Brand के तहत शुरू की बिक्री, जानिए रेट्स

कांग्रेस पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनावों से पहले 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गाय का गोबर खरीदने का वादा किया था, लेकिन हम कच्चा गाय का गोबर नहीं खरीदना चाहते हैं और 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गाय का जैविक गोबर (Organic Cow Dung) खरीदेंगे. 

जैविक गाय का गोबर (Organic Cow Dung) एक प्राकृतिक और पोषक तत्वों से भरपूर उर्वरक है जिसका उपयोग मिट्टी के स्वास्थ्य और पौधों की वृद्धि में सुधार के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा, 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से जैविक गोबर खरीदने के लिए निविदाएं जारी की गई हैं और जिस कंपनी को यह काम सौंपा गया है, वह बैग उपलब्ध कराएगी, उन्हें भरेगी और सील करेगी, साथ ही परिवहन और भंडारण सुविधा भी प्रदान करेगी और उसे 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम का भुगतान किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- रबी सीजन में DAP के लिए जूझ रहे हैं किसान, देश में अचानक कैसे हो गई खाद की कमी, जान लें असल वजह

मंत्री ने कहा कि गोबर का भंडारण हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी विपणन एवं उपभोक्ता संघ लिमिटेड (HIMFED) के गोदामों में भी किया जाएगा और सभी जिलों के उप निदेशकों को बंद पड़े कृषि फार्मों को उपयोग में लाने के निर्देश दिए गए हैं. बंद पड़े कृषि फार्मों में जैविक फसलों का उत्पादन अनुबंध खेती के माध्यम से सुनिश्चित सिंचाई के साथ शुरू होगा, जिसमें लाभ-हानि के आधार पर अन्य किसानों को जैविक कृषि पद्धतियों के प्रति प्रेरित किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा कृषि विभाग में नए भर्ती किए गए कर्मचारियों को भूमि उपयोग नियोजन, मिट्टी की उर्वरता, त्रि-आयामी मानचित्रण और फसल ‘पैटर्न’ में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा, ताकि किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से नकदी फसलों को उगाने के लिए सूक्ष्म स्तर पर क्लस्टर का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग किया जा सके.