शलजम की फसल खास तौर से सर्दी के मौसम की फसल है. इसको खाने में शामिल करने से हार्ट डिसीज, ब्लडप्रेशर और सूजन जैसी बीमारी के इलाज में फायदा मिलता है. इसका यूज आप सलाद में भी कर सकते हैं. शलजम की खेती करने के लिए सबसे पहले आप एक बढ़िया जमीन को सिलेक्ट करें. इसके लिए बलुई या दोमट और रेतीली मिट्टी वाला खेत होना जरुरी है. शलजम की जड़ें जमीन के अंदर होती हैं. इसके लिए 12 से 30 डिग्री तक का टेम्परेचर होना चाहिए. इस को कम कॅास्ट में लगा सकते हैं. शलजम के सेवन से इम्यून सिस्टम स्ट्रोंग होता है. ये कैंसर और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है. हार्ट डिसीज में भी शलजम फायदेमंद साबित होती है. शलजम को खाने से आपका वेट भी कम हो सकता है. इसके इस्तेमाल से लंग्स भी स्ट्रोंग होते हैं. ये इन्टेस्टिन के लिए भी फायदेमंद होती है. शलजम आपके लिवर और किडनी के लिए भी फायदेमंद होती है. इसके साथ ही शलजम को खाने से डायबिटीज में भी फायदा मिलता है.

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कैसे करें खेती

शलजम की खेती के लिए खेत को तैयार करें. इसके लिए खेत की मिट्टी का भुरभुरा होना जरुरी है. खेत की जुताई करना शुरु करें. ऐसा करने से पिछली फसल के रिमेनिंग वेस्ट खत्म हो जाएंगें. फिर कंपोस्ट को खेत में डालें. और पानी से अच्छी तरह से सिंचाई करते हुए खेत की जुताई करें. मिट्टी के भुरभुरी होने के बाद इसे सपाट कर दें. शलजम की बुआई पंक्तिबद्ध तरीके से करना चाहिए. इसके लिए बीजों को 20 से 25 सेमी की दूरी पर तैयार किए गए कूढ़ों में बोना चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि पौधों की दूरी 8 से 10 सेमी होना चाहिए. शलजम को मेड़ों में भी बोया जाता है. शलजम के पौधे जब तीन पत्तियों के हो जाएं तब बेकार के पौधों को निकालकर इनकी दूरी को 10 सेमी कर दें. 

शलजम की फसल लगाकर पाएं बढ़िया मुनाफा

शलजम की फसल 40 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है. पूसा चंद्रिका शलजम और स्नोवाल शलजम की फसल 55 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है. वहीं पूसा स्वेती शलजम सबसे कम समय में 45 दिन में ही तैयार हो जाती है. शलजम का प्रॅाडक्शन 150 से 200 क्विंटल पर हेक्टेयर तक होता है. मार्केट में शलजम 2500 रुपए पर क्विंटल तक के दाम पर बिकती है. इस वजह से किसान इस फसल को लगाकर बढ़िया मुनाफा भी कमा सकते हैं.