सरकार ने तेल रहित चावल की भूसी पर निर्यात प्रतिबंध को 31 मार्च से बढ़ाकर 31 जुलाई 2024 कर दिया है. सरकारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई. इसके निर्यात पर प्रतिबंध जुलाई 2023 से जारी है. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा,  तेल रहित चावल की भूसी (De-oiled Rice Bran) के निर्यात पर प्रतिबंध 31 जुलाई 2024 तक बढ़ा दिया गया है.

भारत इसका बड़ा एक्सपोर्टर है

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बता दें कि भारत राइस ब्रान मील का बड़ा एक्सपोर्टर है. सालाना 10 लाख टन से ज्यादा का एक्सपोर्ट करता है. चावल की भूसी का उपयोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, शराब, मोटापा और एड्स के इलाज के लिए किया जाता है. पेट और पेट के कैंसर और हृदय रोग की रोकथाम में कारगर है. इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.

पशुचारे की कीमतों में बढ़ोतरी पर लगेगी लगाम

विशेषज्ञों के अनुसार, पशुचारे की कीमतों में बढ़ोतरी देश में दूध की कीमतें बढ़ने का एक प्रमुख कारण है. निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से घरेलू बाजार में उत्पाद की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिससे दरों पर अंकुश लगाया जा सकता है.

पशु चारे में करीब 25% चावल की भूसी का इस्तेमाल

हालांकि, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार से निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था क्योंकि इस कदम से पशु चारा और दूध की कीमतों पर न्यूनतम प्रभाव पड़ने की संभावना है. अनुमान के अनुसार, मवेशियों के चारे में करीब 25% चावल की भूसी का इस्तेमाल किया जाता है.