Economic Survey 2024: इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 ने वायदा कारोबार में सामान्य चावल, गेहूं और अधिकांश दालों जैसी संवेदनशील खाद्य वस्तुओं को शामिल करने के प्रति आगाह किया है. इसमें कहा गया है कि जबतक कि बाजार अधिक विकसित न हो जाएं, इन्हें वायदा कारोबार में शामिल नहीं करना चाहिए, भले ही सरकार डेरिवेटिव कारोबार के लिए पात्र वस्तुओं की सूची का विस्तार कर रही हो.

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संसद में पेश बजट-पूर्व आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, संवेदनशील वस्तुओं को वायदा बाजार के दायरे से बाहर रखा जा सकता है जबतक कि बाजार विकसित न हो जाएं और नियामक को पोर्टफोलियो में विविधता लाने में अधिक सहजता न हो जाये. इसने सुझाव दिया कि कृषि वायदा बाजारों को तिलहन, कपास, बासमती चावल और मसालों जैसी 'कम संवेदनशील वस्तुओं' पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

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वायदा कारोबार में जोड़े गए ये कमोडिटीज

कमोडिटीज डेरिवेटिव्स बाजार को व्यापक बनाने के लिए हाल ही में नीतिगत पहल के हिस्से के रूप में, सरकार ने 1 मार्च, 2024 को डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए पात्र कमोडिटीज की सूची को 91 से बढ़ाकर 104 तक कर दिया. नए जोड़े गए कमोडिटीज में सेब, काजू, लहसुन, स्किम्ड मिल्क पाउडर, सफेद मक्खन, मौसमी और प्रोसेस्ड वुड के उत्पाद शामिल हैं.

समीक्षा में 'न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ स्थिर नीतियों' की जरूरत पर जोर दिया गया है. इसने छोटे और बिखरे हुए किसानों को कमोडिटीज मार्केट्स से जोड़ने में किसान उत्पादक संगठनों (FPO) की संभावित भूमिका पर भी प्रकाश डाला. समीक्षा ने सरकार, सेबी और कमोडिटीज एक्सचेंजों से अलग-अलग कृषि-वस्तु क्षेत्रों में एफपीओ को बढ़ावा देने का आह्वान किया.

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समीक्षा कहती है, वित्तीय साक्षरता पहल के माध्यम से एफपीओ को कौशल प्रदान करना और उनका मार्गदर्शन करना किसानों को एग्री-डेरिवेटिव मार्केट्स से फायदा उठाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय कर सकता है. समीक्षा में सिफारिश की गई है कि नियामक वायदा बाजारों (Futures Trading) की बारीकी से निगरानी करें और घरेलू उत्पादन, खपत और वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए नियमित समीक्षा करें.