पराली के प्रदूषण से मिलेगी निजात, सरकार ने बेलर क्षमता बढ़ाने का सुझाव दिया
Paddy Stubble Burning: कृषि मंत्रालय ने फसलों के गट्ठर बनाने वाली मशीन ‘बेलर’ की क्षमता (Baler Capacity) बढ़ाने, अत्यधिक पराली जलाने वाले क्षेत्रों में इन मशीनों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है.
Paddy Stubble Burning: कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तैयार फसलों के गट्ठर बनाने वाली मशीन ‘बेलर’ की क्षमता (Baler Capacity) बढ़ाने, अत्यधिक पराली जलाने वाले क्षेत्रों में इन मशीनों की संख्या बढ़ाने और दिल्ली और आसपास के राज्यों में सहकारी समितियों को शामिल करने का सुझाव दिया है.
मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के ए.पी सिन्हा ने लुधियाना में ‘पराली प्रबंधन और कार्य योजना’ पर आयोजित एक कार्यशाला में धान के पुआल (Paddy straw management) को जलाने की प्रथा खत्म करने की इच्छा जताई लेकिन इस काम की प्रगति में बाधा डालने वाली कुछ अड़चनों का भी उल्लेख किया.
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एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, सिन्हा ने ‘बेलर’ क्षमता बढ़ाने, अत्यधिक पराली जलने वाले क्षेत्रों में अधिक मशीन तैनात करने, अनुसूचित जाति के लाभार्थियों का समर्थन करने के लिए सहकारी समितियों को शामिल करने और सफल पहलों का अनुकरण करने का प्रस्ताव भी रखा.
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उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले साल पराली जलाने की घटनाएं नहीं होंगी. इस कार्यशाला का आयोजन पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) और राज्य सरकार के सहयोग से किया गया था. इस अवसर पर पीएयू के कुलपति सतबीर सिंह गोसाल ने कहा कि पराली जलाने से जहरीले प्रदूषक निकलते हैं, जो आसपास फैल जाते हैं और वायु की गुणवत्ता और लोगों के स्वास्थ्य के साथ मिट्टी की सेहत को भी प्रभावित करते हैं.
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