Budget 2024: बजट में तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू करने की मांग, कृषि विशेषज्ञों ने दिए ये सुझाव
Budget 2024: बजट पूर्व ज्ञापन में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने कहा कि खाद्य तेलों के महंगे आयात पर भारत की बढ़ती निर्भरता को कम करने के लिए घरेलू तिलहन उत्पादन में बढ़ोतरी महत्वपूर्ण है.
Budget 2024: खाद्य तेल उद्योग के प्रमुख निकाय एसईए ने सरकार से कृषि को प्राथमिकता देने और आगामी 2024-25 के बजट में तिलहन उत्पादन (Oilseeds Production) को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता के साथ एक राष्ट्रीय मिशन शुरू करने का आग्रह किया है. बजट पूर्व ज्ञापन में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने कहा कि खाद्य तेलों के महंगे आयात पर भारत की बढ़ती निर्भरता को कम करने के लिए घरेलू तिलहन उत्पादन में बढ़ोतरी महत्वपूर्ण है. संगठन ने रिफाइंड तेल और स्टीयरिक एसिड जैसे तैयार उत्पादों के आयात पर उलट शुल्क ढांचे को ठीक करने की भी मांग की, जो स्थानीय निर्माताओं को नुकसान में डालता है.
बता दें कि भारत अपनी खाद्य तेल की 60 फीसदी से अधिक मांग आयात के माध्यम से पूरी करता है, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े आयातकों में से एक बन गया है. एसईए ने सरकार से तेल रहित चावल भूसी के निर्यात पर प्रतिबंध को 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाने को कहा है. नई सरकार ने अपने पहले 100 दिवसीय एजेंडे में ‘तिलहन विकास कार्यक्रम’ को शामिल किया है.
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बजट में R&D पर अधिक खर्च, सब्सिडी सुधारों की मांग
वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ प्री-बजट बैठक में कृषि संगठनों और विशेषज्ञों ने एग्री रिसर्च में निवेश बढ़ाने, उर्वरक सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने और जलवायु परिवर्तन को लेकर कृषि क्षेत्र की जुझारू क्षमता बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर दिया. इस बैठक में कृषि क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के लिए बजट आवंटन को 9,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपये करने की वकालत की.
भारतीय खाद्य एवं कृषि चैंबर (आईसीएफए) के चेयरमैन एम जे खान ने क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि अनुसंधान एवं विकास में बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत पर बल दिया. डीबीटी) के माध्यम से हस्तांतरण के लिए कृषि से संबंधित सारी सब्सिडी (Subsidy) का एकीकरण करने और यूरिया के खुदरा मूल्य में बढ़ोतरी करने की भी मांग की. सब्सिडी के माध्यम से जैव-उर्वरकों और पत्तों से बने उर्वरकों को बढ़ावा देने की मांग भी की गई.
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कृषि क्षेत्र के जानकारों ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने के लिए बनी समिति को भंग करने, भारत के लिए एक नई कृषि नीति लागू करने और केंद्र-प्रायोजित योजनाओं में मानव संसाधन विकास के लिए फंडिंग रेश्योर को 60:40 से बदलकर 90:10 करने का भी सुझाव दिया विशेषज्ञों ने कृषि निर्यात को बढ़ावा देने, जिला निर्यात केंद्र बनाने और राष्ट्रीय बकरी और भेड़ मिशन शुरू करने के लिए एपीडा के बजट आवंटन को 80 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 800 करोड़ रुपये करने का भी सुझाव दिया.