Fertiliser Subsidy: संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा ने ‘एग्री स्टैक’ (Agri Stack) डिजिटल सिस्टम का उपयोग करके उर्वरक सब्सिडी (Fertiliser Subsidy) के बेहतर टारगेटिंग का सुझाव दिया है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि सब्सिडी वाले पोषक तत्वों की एक निश्चित मात्रा केवल पहचाने गए किसानों को ही बेची जाए, जो किसी विशेष जिले के भूमि स्वामित्व और फसल पद्धति जैसे मापदंडों के आधार पर हो. इसने डिजिटल पेमेंट मैकनिज्म ई-रुपी (E-RUPI) के माध्यम से किसानों को उर्वरक सब्सिडी का सीधा ट्रांसफर करने का भी सुझाव दिया है.

FY25 में फर्टिलाइजर सब्सिडी के लिए ₹1.64 लाख करोड़ आवंटन

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समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि शुरुआत में इस प्रणाली का उपयोग कुछ राज्यों के एक जिले में प्रायोगिक परियोजना के रूप में किया जाना चाहिए. फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट के अनुसार, उर्वरक सब्सिडी (Fertiliser Subsidy) के लिए आवंटन वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये है, जबकि पिछले वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान 1.89 लाख करोड़ रुपये था. 

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इसमें कहा गया है, एग्री स्टैक (Agri Stack), सरकार द्वारा स्थापित डिजिटल फाउंडेशन है, जो भारत में कृषि को बेहतर बनाने के लिए अलग-अलग अंशधारकों को साथ लाना सुगम बनाता है और डेटा और डिजिटल सेवाओं का उपयोग करके किसानों को बेहतर नतीजे देता है.

एग्री स्टैक से फर्टिलाइजर की होगी सही बिक्री

समीक्षा में कहा गया है कि एग्री स्टैक (Agri Stack) अब प्रमुख भारतीय राज्यों में काफी विकसित है और यह सही माध्यम प्रदान कर सकता है जिसके माध्यम से उर्वरक सब्सिडी को बेहतर तरीके से लक्षित किया जा सकता है. दस्तावेज़ में कहा गया है, इससे यह सुनिश्चित होगा कि सब्सिडी वाले उर्वरक केवल उन लोगों को बेचे जाएं जिन्हें किसान के रूप में पहचाना जाता है या किसान द्वारा अधिकृत किया जाता है, और सब्सिडी वाले उर्वरक की मात्रा, भूमि स्वामित्व और जिले की प्रमुख फसलों (एक मौसम में बोए गए क्षेत्र का कम से कम 70 फीसदी) जैसे मापदंडों के आधार पर तय की जाती है.

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किसानों को ऐसे मिलेगा फायदा

समीक्षा में कहा गया है, ई-रुपी (E-RUPI), एक सहज एकमुश्त भुगतान प्रणाली है, जिसका उपयोग किसान को सीधे जरूरी सब्सिडी प्रदान करने के लिए किया जा सकता है. यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि सब्सिडी का उपयोग केवल अधिकृत उर्वरक दुकानों पर पंजीकृत पीओएस उपकरणों के माध्यम से किया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि यदि कोई किसान अपनी पात्रता से कम मात्रा में उर्वरक खरीदता है, तो बाकी सब्सिडी का उपयोग अन्य कृषि सामग्री, जैसे बीज और कीटनाशक खरीदने के लिए किया जा सकता है, जो इन दुकानों पर भी बेचे जाते हैं. 

इसमें कहा गया है, वर्ष के अंत में किसी भी अप्रयुक्त सब्सिडी को किसान के नाम पर डाकघर में एक छोटे बचत साधन में परिवर्तित किया जा सकता है. यह प्रणाली न केवल सब्सिडी वितरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करती है, बल्कि गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए सब्सिडी के दुरुपयोग को भी रोकती है.इससे किसान को अन्य एनपीके उर्वरकों की तुलना में सस्ता होने के कारण अत्यधिक यूरिया का उपयोग न करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और फसल और मृदा की आवश्यकता के अनुसार उर्वरकों का संतुलित उपयोग हो सकता है.

वर्तमान में, यूरिया किसानों को 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया बैग (नीम कोटिंग और लागू टैक्स के लिए शुल्क को छोड़कर) के वैधानिक रूप से अधिसूचित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर उपलब्ध कराया जा रहा है. खेत पर यूरिया की डिलिवरी की लागत और यूरिया इकाइयों द्वारा नेट बाजार प्राप्ति के बीच का अंतर भारत सरकार द्वारा यूरिया निर्माता/आयातकर्ता को सब्सिडी के रूप में दिया जाता है. यूरिया के अलावा, पीएंडके (पोटेशिक और फॉस्फेटिक) उर्वरकों की सब्सिडी दरें पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के अंतर्गत हैं, ताकि ये उर्वरक किसानों को किफायती मूल्य पर उपलब्ध कराए जा सकें.