Mithila Makhana: बिहार के मखाना की बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BHU) पैकेजिंग कर न केवल ब्रांडिंग करेगा बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचने का प्रयास भी करेगा. बीएयू, भागलपुर का मानना है कि मिथिलांचल के कई किसान (Farmers) ऐसे हैं, जो जानकारी के अभाव या उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण अपनी फसलों को अन्य राज्यों में नहीं भेज पाते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी फसलों को स्थानीय स्तर पर औने-पौने दामों में बेचना पड़ता है, ऐसे में उन्हें मुनाफा कम होता है. ऐसे किसानों की फसल को बीएयू पैकेजिंग के बाद अच्छे दामों पर बेचने का प्रयास करेगा. इससे किसानों को मुनाफा होगा और मिथिला के मखाना की पहचान भी बढ़ेगी.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बीएयू के कुलपति डॉ. डीआर. सिंह ने कहा कि इसके लिए मुंबई के एक संस्थान से करार किया गया है और जल्द ही बीएयू 'मिथिला मखाना' (Mithila Makhana) के नाम से पैकेजिंग भी शुरू हो जाएगी. इससे वैसे किसानों को अत्यधिक लाभ मिलेगा जो अपनी फसलों को बाहर नहीं भेज पाते थे. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. राजेश बताते हैं कि राज्य में मिथिलांचल और सीमांचल इलाके में मखाना की खेती सर्वाधिक होती है.

ये भी पढ़ें- PM Kisan Yojana: 17वीं किस्त से पहले आई बड़ी खबर, किसानों को बड़ा फायदा

30 से 35 हजार हेक्टेयर में मखाने की खेती

हाल ही में मिथिलांचल मखाना को जीआई टैग (Mithila Makhana GI Tag) भी मिला है, जिसके बाद बिहार के मखाना को दुनियाभर में ख्याति मिल रही है. इसके बाद मखाने की मांग भी बढ़ी है. बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज जिले में मुख्य रूप से मखाने का उत्पादन होता है.

बताया जाता है कि प्रदेश में 30 से 35 हजार हेक्टेयर में मखाने की खेती की जाती है और 40 से 45 लाख क्विंटल मखाना का उत्पादन होता है. मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद राज्य सरकार किसानों को मखाना की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है.

ये भी पढ़ें- खुशखबरी! यहां तालाब बनाने के लिए सरकार दे रही ₹1.30 लाख, जानें आवेदन का तरीका

मखाना की खेती पर 75% सब्सिडी

बिहार सरकार ने मखाना विकास योजना की शुरुआत की है. योजना के तहत सरकार राज्य के किसानों को खेती के लिए 75% तक की सब्सिडी दे रही है. इसमें कोई शक नहीं है कि मखाना (Makhana) उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है. हालांकि, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.