इस फूल की खेती से किसान की जिंदगी में आई खुशहाली, बढ़ गई कमाई, सरकार देती है 75% सब्सिडी
Marigold Farming: शादी-विवाह व अन्य अवसरों पर सजावट के लिए गेंदा फूलों की बढ़ती मांग को देखते हुए कई किसान अपने खेतों में बड़े पैमाने पर गेंदा फूल का उत्पादन शुरू कर दिया है.
Marigold Farming: बदलते जमाने के साथ अब खेती-किसानी में भी बदलाव के कई रंग दिखने लगे हैं. खाद्य फसलों के अलावा अब इलाके के किसान गेंदा फूलों की खेती को कम लागत में अधिक कमाई का जरिया बना रहे हैं. अब गेंदा फूलों (Marigold Farming) की सुंदरता व सुगंध से खेत तो गुलजार हो ही रहे हैं, किसानों की आमदनी भी बढ़ी है. शादी-विवाह व अन्य अवसरों पर सजावट के लिए गेंदा फूलों की बढ़ती मांग को देखते हुए कई किसान अपने खेतों में बड़े पैमाने पर गेंदा फूल का उत्पादन शुरू कर दिया है.
गेंदा फूल की खेती (Marigold Farming) उनके लिए सब्जी और अन्य किसी भी अनाज फसलों की तुलना में अधिक लाभकारी साबित हो रही है. स्थानीय बाजारों की मंडियों में पहले कोलकाता और अन्य राज्यों से गेंदा फूल मंगवाए जाते थे. गेंदा फूल की खेती कर रहे किसान दीपक कुमार चौधारी के मुताबिक, करीब 5 कट्ठे खेत में फूल की खेती करने से उन्हें करीब 2,000 रुपये का खर्च आया है. दो माह के भीतर उनके खेत से गेंदा फूलों का उत्पादन शुरू हो चुका है. उन्होंने पहली बार कोलकाता से बीच खरीदकर फूलों की खेती शुरू की है.
ये भी पढ़ें- ₹2 लाख की सरकारी मदद से शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी तगड़ी कमाई, 15 जनवरी आवेदन की अंतिम तारीख
व्यापारिक पैमाने पर गेंदा फूल की खेती सालों भर की जाती है. ठंड और गर्मी के सीजन के लिए अलग-अलग तरह के बीज बोए जाते हैं. फूल बेचने के लिए बाजार की भी समस्या नहीं है. 20 लड़ी के प्रति कोड़ो गेंदा फूल 200 रुपये में आसानी से बिक रहे हैं.
किसानों को प्रति हेक्टेयर 75% अनुदान
गेंदा फूल की खेती के लिए सरकारी तौरा पर प्रति हेक्टेयर 75% अनुदान के साथ किसानों को कुल 28,000 रुपये अनुदान दिए जाने का भी प्रावधान है. न्यूनतम प्रति किसान 25 डिसिमल और अधिकतम एक हेक्टेयर जमीन पर खेती पर अनुदान के लिए किसान horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें- Success Story: पट्टे पर जमीन लेकर शुरू की सब्जियों की खेती, अब सालाना ₹10 से 15 लाख कमा रहा बिहार का ये किसान
गेंदा फूल की खेती (Marigold Farming) करने में खेतों की जोत, सिंचाई, बीज, दवा आदि मद में खर्च के वाउचर किसानों द्वारा जिला उद्यान कार्यालय से समर्पित किया जाता है. खुद के नाम की जमीन की रसीद या कोर्ट के द्वारा शपथ पत्र के तहत निर्गत वंशावली और रजिस्ट्रेशन जरूरी है.