केंद्र सरकार शुगर सेक्टर में बड़े बदलाव करने कर रही है. शुगर कंट्रोल ऑर्डर 1966 में संशोधन की तैयारी है. गन्ने और चीनी उत्पादन में तकनीकी दक्षता के चलते नियमों में अपडेट का मसौदा लाया गया है. सरकार ने ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक, सरकार की मंजूरी के बिना चीनी और Bi Products का उत्पादन नहीं किया जा सकेगा. 23 सितंबर तक सभी स्टेकहोल्डर्स से सुझाव और आपत्तियां मंगाई गई हैं. 

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तकनीकी अपग्रेडेशन के चलते चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में कीमत, उत्पादन, bi products जैसे इथेनॉल आदि पर सरकार नियंत्रण बढ़ाने की तैयारी में है. ब्लेंडिंग के टारगेट, बाजार में चीनी का भाव, एक्सपोर्ट पर फैसला आसान हो, सरकार के पास संबंधित डाटा उपलब्ध हो इसके लिए कंट्रोल ऑर्डर में बदलाव की तैयारी है. 

क्या कहते हैं ड्राफ्ट नियम

ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक, चीनी उत्पादन, बिक्री, पैकेजिंग और एक्सपोर्ट के लिए जारी कोटा, आवाजाही और चीनी का निर्यात/आयात शामिल पर विचार किया जाएगा.  सरकार की मंजूरी के बिना चीनी और Bi Products का उत्पादन नहीं किया जा सकता है. लाइसेंस की शर्तों का पालन अनिवार्य, राज्य सुनिश्चित करेंगे. बिक्री, स्टोरेज, सप्लाई, डिस्पोजल पर सरकार रखेगी नजर और सभी गतिविधियों के लिए मंजूरी अनिवार्य है. 

उत्पादन और पैकेजिंग की समय-समय पर समीक्षा

नियमों के मुताबिक, उत्पादन और पैकेजिंग को लेकर समय समय पर सरकार समीक्षा करेगी. शुगर और उसके उत्पाद अगर जब्त किए गए हैं तो बिना सरकार की मंजूरी बेचे नहीं जा सकेंगे. सरकार FRP के मुताबिक चीनी का दाम तय करेगी. सरकार कंपनियों से किसी भी समय डाटा मांग सकती है और समयबद्ध उपलब्ध कराना जरूरी होगा. Power of inspection, entry, search, sampling, seizure जैसे मसलों पर सबसे ज्यादा विस्तार से चर्चा हुई है.