Ethanol Production: सरकार ने वर्ष 2025-26 तक 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि चालू सत्र के लिए गन्ना उत्पादन के बारे में अस्पष्टता होने की वजह से गन्ना रस (Sugarcane Juice) और चीनी सिरप के उपयोग पर प्रतिबंध एक ‘अस्थायी’ कदम के रूप में लगाया गया है. सरकार ने यह भी कहा कि देश में एथेनॉल (Ethanol) का आयात करने की स्थिति अभी तक नहीं पहुंची है. हालांकि सरकार के पास B और C-भारी शीरे, क्षतिग्रस्त चावल और मक्का के इस्तेमाल से एथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production) को बढ़ावा देने की योजना है.

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एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2022-23 (नवंबर-अक्टूबर) में, सरकार ने पेट्रोल (Petrol) के साथ एथेनॉल का 12% ब्लेंडिंग स्तर हासिल किया. चालू वर्ष के लिए 15% ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा गया है. प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में सूखे और बारिश के कारण गन्ना उत्पादन कम रहने की आशंका के बीच खाद्य मंत्रालय ने 7 दिसंबर 2023 को एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 में एथेनॉल बनाने के लिए गन्ना रस और चीनी सिरप के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया.

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एथेनॉल ब्लेंडिंग पर नहीं पड़ेगा असर

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा और पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने यहां एक संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में इस प्रतिबंध से एथेनॉल ब्लेंडिंग (Ethanol Blending) कार्यक्रम पर प्रतिकूल असर पड़ने की अफवाहों को खारिज कर दिया. जैन ने कहा, सरकार एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. उस कार्यक्रम के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कम करने का सवाल ही नहीं है.

आपूर्ति वर्ष 2021-22 में सरकार ने काफी पहले ही 10% एथेनॉल ब्लेंडिंग का स्तर हासिल कर लिया था. वर्ष 2022-23 में चावल की आपूर्ति पर चिंताओं के बावजूद 12% से अधिक ब्लेंडिंग स्तर हासिल किया गया. पेट्रोलियम और खाद्य सचिवों दोनों ने स्पष्ट किया कि पेट्रोलियम कंपनियों से मिले प्रस्तावों के लिए B-हैवी शीरे की मंजूरी दी जाएगा.

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गन्ने का उत्पादन घटने का अनुमान

चोपड़ा के मुताबिक, देश का कुल गन्ना उत्पादन पिछले साल की तुलना में काफी कम रहने का अनुमान है. कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, गन्ने का उत्पादन फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में 49.42 करोड़ टन के मुकाबले घटकर 43.48 करोड़ टन ही रहेगा. 

इस बीच, मंत्रियों की समिति ने उस योजना को मंजूरी दे दी है जिसके तहत सहकारी संस्थाएं नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) सीधे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मक्का खरीदेंगी और इसमें मंडी कर जोड़कर अनाज आधारित डिस्टिलरीज को आपूर्ति करेंगी.