Animal Feed: पशु का स्वास्थ्य और उत्पादन मुख्य रूप से उसको दिए जाएने आहार की मात्रा और गुणवत्ता पर निर्भर करता है. दुधारू पशुओं को दी जाने वाली खुराक पर दूध उत्पादन से होने वाले फायदा और नुकसान निर्भर करता है. किसान पशुओं को आमतौर पर एक ही तरह का चारा देते हैं जिससे दुधारू पशुओं को संतुलित आहार नहीं मिल पाता. इससे उत्पादन और पशु का स्वास्थ्य गिर जाता है. इसलिए पशुओं को मिनरल सप्लीमेंट देना बहुत जरूरी है.

दुधारू पशुओं को दें मिनरल सप्लीमेंट x

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नियमित मिनरल सप्लीमेंट दूध उत्पादन और इसकी गुणव्तता में सुधार करता है. मिनरल सप्लीमेंट से एसएनएफ सामग्री बढ़ जाती है. पशुओं को पुआल और स्टोवर खिलाया जाता है. इससे मिनरल सप्लीमेंट की पूर्ति होती है. पशुओं को पुआल आधारित आहार खिलाया जाता है और हफ्ते मं कम से कम एक बार पर्याप्त हरा चारा देना चाहिए. फलियां, पेड़ के पत्ते और घार मिनरल्स के अच्छे स्रोत हैं. गेहूं की भूसी, चावल की भूसी, चावल की पॉलिश जैसे अनाज बाय-प्रोडक्ट्स के साथ खिला सकते हैं. 

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कैल्शियम और फॉस्फोरस रेश्यो को संतुलित करने के लिए कैल्शियम रिच फलियां, पेड़ के पत्तों के चारे को सप्लीमेंट्स के रूप में खिलाएं. मिनरल सप्लीमेंट पशुओं में प्रजनन क्षमता में सुधार करती है. इससे पशु नियमित गर्मी/स्ट्रेस में आते हैं. गर्भधारण करते हैं और उचित मिनरल सप्लीमेंट पर नियमित अंतराल पर बछड़े को जन्म देते हैं.

बढ़ जाता है दूध का उत्पादन

साधारण नमक चारे के स्वाद को सुधारता है और इसलिए साधरण नकम के साथ-साथ मिनिर्ल को भी पशुओं के लिए सप्लीमेंट के रूप में खिलाना चाहिए. मिनरल सप्लीमेंट पर कम खर्च करके किसान ज्यादा फायदा पा सकते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 40 ग्राम मिनरल मिक्स्ड सप्लीमेंट से गायों में दूध उत्पादन 300 से 500 मिली तक बढ़ जाता है. इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलती है. इसके अलावा, नियमित एक साल के अंतर पर गायों से बछड़े मिलने से किसानों को भारी फायदा होता है.

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आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के अलग-अलग एग्री-इकोसिस्टम के लिए एरिया स्पेसिफिक मिनरल मिक्सचर तैयार किया गया है. मिनरल मिक्सचर सप्लीमेंट्स 40-45 ग्राम प्रति पशु प्रतिदिन की दर से खिलाने की लागत 230 रुपये सालाना आती है. एनआईएएनपी ने एरिया स्पेसिफिक मिनरल मिक्सचर विकसित किया है. इसका इस्तेमाल किसानों द्वारा पशुधन उत्पादन के लिए किया जा रहा है. यह विकसित तकनीक को अपनाना आसान है. इसमें बड़े निवेश की जरूरत नहीं है.

फलीदार चारा- बरसीम, लोबिया, लूसर्न, स्टाइलो आदि कैल्शियम, मैग्नीशियम, तांबा, जस्ता, आयरन और मैंगनीज के अच्छे स्रोत हैं.

गैर-फलीदार चारा- मक्का, नेपियर, पारा, स्थानीय आम घास मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक और आयरन के अच्छे स्रोत हैं.

खली- बिनौला, मूंगफली खली, तोरिया खली, सूरजमुखी खली आदि फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, सल्फर, कॉपर और जिंक के अच्छे स्रोत हैं.

टॉप फीड- सूबबूल, कटहल, सेस्बानिया, पीपल के पत्ते कैल्शियम, कॉपर, आयरन और जिंक के बेहतर स्रोत हैं. इसके अलावा गेहूं का चोकर, चावल की भूसी, चने की भूसी आदि फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कॉपर और मैंगनीज के अच्छे स्रोत हैं.