भारत कर रहा 50 बिलियन डॉलर का फूड ग्रेन एक्सपोर्ट, 330 मिलियन टन का प्रोडक्शन
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि भारत अब सालाना 330 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन करता है, जो वैश्विक खाद्य व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान देता है और निर्यात से 50 अरब डॉलर की आय अर्जित करता है.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि भारत अब सालाना 330 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन करता है, जो वैश्विक खाद्य व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान देता है और निर्यात से 50 अरब डॉलर की आय अर्जित करता है. राष्ट्रीय राजधानी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'वैश्विक मृदा सम्मेलन 2024' को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार उन पहलों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है जो टिकाऊ और लाभदायक कृषि, लचीले पारिस्थितिकी तंत्र और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं. चौहान ने यह भी कहा कि रासायनिक उर्वरकों पर बढ़ते प्रयोग और निर्भरता, प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और अस्थिर मौसम ने मिट्टी पर दबाव डाला है.
मंत्री ने उपस्थित लोगों को बताया, "आज भारत की मिट्टी एक बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना कर रही है. कई अध्ययनों के अनुसार, हमारी 30 फीसदी मिट्टी खराब हो चुकी है. मिट्टी का कटाव, लवणता और प्रदूषण मिट्टी में आवश्यक नाइट्रोजन और सूक्ष्म पोषक तत्वों के स्तर को कम कर रहे हैं. मिट्टी में कार्बनिक कार्बन की कमी ने इसकी उर्वरता और लचीलापन को कमजोर कर दिया है." ये चुनौतियाँ न केवल उत्पादन को प्रभावित करेंगी बल्कि आने वाले समय में किसानों के लिए आजीविका और खाद्य संकट भी पैदा करेंगी.
मंत्री ने बताया, "सरकार ने मृदा संरक्षण के लिए कई पहल की हैं, जिससे मृदा की उर्वरता बढ़ती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2015 में 'मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने' की शुरुआत की गई थी. 22 करोड़ से ज़्यादा कार्ड बनाकर किसानों को दिए जा चुके हैं." 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-प्रति बूंद अधिक फसल' के अंतर्गत सरकार ने जल के विवेकपूर्ण उपयोग, अपव्यय को कम करने तथा पोषक तत्वों के अवशेष को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है.
मंत्री ने कहा, "मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए एकीकृत पोषक तत्व और जल प्रबंधन विधियों को अपनाना होगा. हमें सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधीकरण, कृषि वानिकी आदि जैसे विभिन्न तरीकों के माध्यम से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, मिट्टी के कटाव को कम करने और जल भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए सभी उपाय करने चाहिए." उन्होंने कहा कि युद्ध स्तर पर वैज्ञानिक नवाचारों के समाधान और विस्तार प्रणालियों की भूमिका महत्वपूर्ण है.
चौहान ने कहा, "हम जल्द ही 'आधुनिक कृषि चौपाल' भी शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें वैज्ञानिक लगातार किसानों से चर्चा कर जानकारी देंगे और समस्याओं का समाधान भी करेंगे. इसके अलावा, निजी और गैर सरकारी संगठनों के नेतृत्व वाली विस्तार सेवाओं ने उन्नत तकनीक को किसानों तक पहुंचाया है और किसान अब इसका लाभ उठा रहे हैं."