Urad ki Kheti: सरसों और गेहूं की कटाई के बाद खेत खाली हो रहे हैं. ऐसे में किसान कुछ दलहनी फसलें लेकर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं. खास बात यह है कि दलहन की फसलों में लागत कम आती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है. उड़द (Urad) एक मुख्य दलहनी फसल है. इसकी खेती मुख्य रूप से खरीफ में की जाती है लेकिन जायद में समय से बुवाई सघन पद्धतियों को अपनाकर करने से अच्छी पैदावार पायी जा सकती है. किसान उड़द  (Agriculture Business Idea) उगाएं, तो उनको बेहद कम लागत में अच्छा मुनाफा मिलेगा. 

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जायद में उड़द की खेती के लिए दोमट और मटियार भूमि अच्छी रहती है. पलेवा करके एक दो जुताई देशी हल अथवा कल्टीवेटर से करके खेत तैयार हो जाता है. हर जुताई के बाद पाटा लगाना जरूरी है जिससे नमी बनी रहे. पावर टिलर या ट्रैक्टर से खेत की तैयारी जल्दी हो जाती है.

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उड़द की उन्नत किस्में

अच्छी उपज लेने के लिये जल्दी पकने वाली प्रजातियां की बुवाई करें. टा.–9, नरेन्द्र उर्द-1, आजाद उर्द–1, उत्तरा, आजाद उर्द-2, शेखर-2, आई.पी.यू.2-43, सुजाता और माश-479 शामिल हैं. उड़द का पौधा जायद में कम बढ़ता है इसलिए 25-30 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर बुवाई हेतु प्रयोग करें.

बुवाई और सिंचाई

उड़द की बुवाई कूंडो में करना चाहिएं. कूंड से कूंड की दूरी 20-25 सेमी. कूंड रखना चाहिए. बुवाई के तुंरन्त बाद पाटा लगा देना चाहिएं.  पहली सिंचाई 30-35 दिन बाद करनी चाहिए. पहली सिंचाई बहुत जल्दी करने से जड़ों और ग्रन्थियों का विकास ठीक प्रकार नहीं होता है. बाद में जरूरत के अनुसार 10-15 दिन बाद हल्की सिंचाई करते रहें. स्प्रिकलर से सिंचाई अत्यधिक लाभप्रद रहता है.

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जरूरी बातें

  • सुपर फास्फेट का प्रयोग बेसल ड्रेसिंग में अधिक फायदेमंद रहता है.
  • पहली सिचाई बुवाई के 30-35 दिन बाद करें.
  • बीजोपचार राइजोबियम कल्चर और पी.एस.बी से जरूर करें.
  • अगर आलू के बाद उड़द की फसल ली जाती है तो नाइट्रोजन के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है.
  • थ्रिप्स के लिए निगरानी रखें. पहली सिंचार्इ के पहले नियंत्रण के लिए सुरक्षात्मक छिड़काव करें.