Agri Business Idea: खेती-बाड़ी से ज्यादा कमाई करने के लिए किसानों को उन फसलों का चुनाव करना चाहिए, जिसकी बाजार में कीमत ज्यादा हो. सोयाबीन एक प्रमुख तिलहन फसल है. इसको गोल्डन बीन (Golden Bean) के नाम से जाना जाता है. यह दुनिया में सबसे ज्यादा खाए जाने वाला खाद्य पदार्थों में से एक है. सोयाबीन हाई क्वालिटी वाले प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, ओमेगा-3, ओमेगा-6, फैटी एसिड और फाइटोएस्ट्रोजेन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसको प्रोसेस्ड करके उसका तेल, दूध, पनीर और बड़ियां बनाई जाती हैं. अगर तगड़ी कमाई करनी है तो गोल्डन बीन की खेती (Agri Business Idea) कर सकते हैं. इस खेती से आपको तगड़ा मुनाफा हो सकता है. 

सोयाबीन की उन्नत किस्में

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सोयाबीन उत्पादन में किस्म का चयन एक महत्वपूर्ण कारक है. किस्मों का चयन करते समय परिपक्वता और रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसी कई किस्मों पर विचार किया जाना चाहिए. आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, सोयाबीन की उन्नत किस्मों में ब्रैग, क्लार्क 63, इंदिरा सोया-9, पंजाब-1, ली, आरएससी-10-46, आरएससी-10-52, अलंकार, इम्प्रूव्ड पेलिकन, शिलाजीत, जेएस-2, यूपीएसएस-19, आर-184 आदि को बुवाई के लिए उपयोग किया जा सकता है.

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खेत की तैयारी

सोयाबीन को अच्छी जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी पर सबसे अच्छी तरह उगाया जा सकता है. इसकी पी.एच 6.5 से 7.5 के बीच और जैविक कार्बन पदार्थ प्रचुर मात्रा में होना जरूरी है. इसकी खेती के लिए मिट्टी ढीली और भुरभुरी होनी चाहिए. खेत को हल से एक गहरी जुताई और उसके बाद 2-3 बार हैरो द्वारा जुताई करनी चाहिए. खेत को समतल करने के लिए प्रत्येक हैरो लगाने के बाद पाटा लगाना चाहिए.

बीज की बुवाई

खेत की तैयारी के बाद बुवाई का काम करें. बीजों के उचित अंकुरण के लिए उनका स्वस्थ और रोगमुक्त होना चाहिए. सोयाबीन के बीज को रोगों से बचाने के लिए 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से थीरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करना चाहिए. इसके अलावा 4 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से ट्राइकोडर्मा विरिड के टैलकम फार्मुलेशन से भी उपचारित कर सकते हैं. खरीफ के मौसम में लगभग 70-80 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज और वसंत व गर्मी के मौसम में 100-120 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है.

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अच्छी फसल उगाने के लिए 15-20 टन प्रति हेक्टेयर की दर से नाडेप खाद या गोबर की खाद का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. संतुलित रासायनिक उर्वरक के तहत 20-40 किग्रा नाइट्रोजन, 60-80 किग्रा पोटाश, 40 किग्रा सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग किया जा सकता है. इसके साथ 25 किग्रा जिंक की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल की जा सकती है.

कटाई और सिंचाई

फसल को पूरी तहत से परिपक्व होने के बाद ही काटा जाना चाहिए. जब फलियां काली, भूरी या सुनहरी हो जाती है, ये कटाई के लिए बेहतर होती है. इस समय बीज में 17 फीसदी नमी होती है. कटी हुई फसल को कुछ दिनों तक सुखाया जाता है. अनाज को झाड़कर अलग किया जाता है. इसकी मड़ाई गेहूं थ्रेशर से भी की जा सकती है. एक हेक्टेयर में 2 से 2.5 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार होती है. सुरक्षित भंडारण के लिए बीज को 9-10 फीसदी नमी के स्तर तक सुखाना चाहिए. इसे नीमरोधी बैग या टिन के डिब्बे में रखना चाहिए.

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