पेट्रोल की वास्तविक कीमत है मात्र इतनी, बाकी टैक्स और कमीशन दे देते हैं आप
अगर आप एक लीटर पेट्रोल या डीजल की कीमत का अध्ययन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि असल में पेट्रोल-डीजल इतने महंगे हैं ही नहीं, बल्कि इसे महंगा बना दिया गया है.
आम आदमी की जिंदगी में पेट्रोल और डीजल बेहद महत्वपूर्ण हैं. चाहे इसका इस्तेमाल आप गाड़ियों में करें या खेती के काम में. इसकी कीमत आपके बजट को सीधे-सीधे प्रभावित करती है. आपको बता दें कि पेट्रोल-डीजल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव से कम, बल्कि भारी-भरकम टैक्स और कमीशन के चक्कर में अधिक है. अगर आप एक लीटर पेट्रोल या डीजल की कीमत का अध्ययन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि असल में पेट्रोल-डीजल इतने महंगे हैं ही नहीं, बल्कि इसे महंगा बना दिया गया है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अगर टैक्स और कमीशन हटा दें तो पेट्रोल की कीमत आधी रह जाती है. ऐसी ही स्थिति डीजल के साथ भी है.
पेट्रोल पर टैक्स और कमीशन 96.9 प्रतिशत
वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने लोकसभा को लिखित रूप में हाल में बताया कि पेट्रोल पर 96.9 प्रतिशत टैक्स और कमीशन लगाया जाता है, जबकि डीजल के मामले में यह आंकड़ा 60.3 फीसदी है.पेट्रोल की इस कीमत में 17.98 रुपये केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी, 15.02 रुपये राज्य सरकार का वैट और 3.59 रुपये डीलर का कमीशन शामिल है. डीजल में एक्साइज ड्यूटी 13.83 रुपये, राज्य का वैट 9.51 रुपये और डीलर का कमीशन 2.53 रुपये है.
इतना पड़ता है फर्क
अगर एक लीटर पेट्रोल और डीजल की वास्तविक कीमत की गणना करें तो आप इसको बेहतर तरीके से समझ पाएंगे. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, उदाहरण के लिए दिल्ली-एनसीआर में टैक्स और डीलर का कमीशन निकाल दें, तो पेट्रोल की कीमत सिर्फ 34.04 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत केवल 38.67 रुपये प्रति लीटर रह जाएगी. 22 दिसंबर को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 70.27 रुपये और डीजल की कीमत 64.19 रुपये है.
एक्साइज ड्यूटी से सरकार की कमाई
चालू वित्त वर्ष (2018-19) के पहले छह महीनों में पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी के जरिए केंद्र सरकार की कमाई क्रमश: 25,318.1 करोड़ रुपये और 46,548.8 करोड़ रुपये दर्ज की गई. विदेशी बाजारों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते अक्टूबर में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई थी. देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर रोज तय होती हैं. केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी निर्धारित है, जबकि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की वैट दरें अलग-अलग हैं.