इस साल पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने की उम्मीद नहीं, ये हैं इसके 5 कारण
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती का इंतजार कर रहे लोगों के लिए बुरी खबर है. आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत और परेशान कर सकती हैं. विपक्षी दल से लेकर आम जनता तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने की मांग कर रही है. लेकिन, पेट्रोल-डीजल के सस्ते होने के आसार कम ही हैं. सरकार भी एक्साइड ड्यूटी में कटौती करने से साफ इनकार कर चुकी है. बुधवार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ. हालांकि, इससे पहले लगातार 15 दिन से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल आया है. लेकिन, पेट्रोल-डीजल के सस्ते न होने के पीछे क्या कारण है. क्यों सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है. आइये जानते हैं इसके पांच बड़े कारण..
फिलहाल क्या है दाम
देश की राजधानी दिल्ली में फिलहाल पेट्रोल की कीमत 79.31 रुपए प्रति लीटर है. वहीं, डीजल के दाम 71.34 रुपए प्रति लीटर हो गए. देश में सबसे महंगा पेट्रोल मुंबई में है, जहां इसके दाम 86.72 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं. वहीं, मुबंई में डीजल की कीमतें 75.73 रुपए प्रति लीटर हो गईं.
और गहराएगी रुपये में गिरावट
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफे के पीछे रुपया एक बड़ा कारण है. रुपये में गिरावट के चलते ही तेल कंपनियां लगातार कीमतों में बदलाव कर रही हैं. दरअसल, कंपनियां डॉलर में तेल का भुगतान करती हैं, जिसकी वजह उन्हें अपना मार्जिन पूरा करने के लिए तेल की कीमतों को बढ़ाना पड़ रहा है. बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 71.40 पर पहुंच गया. दरअसल, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के चलते आयात महंगा हो रहा है. SBI की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में भी कहा गया है कि डॉलर के मुकाबले रुपए में और गिरावट आ सकती है.
क्रूड के दाम में उछाल
पिछले एक महीने में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. कीमतों में 7 डॉलर प्रति बैरल की तेजी आ चुकी है. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से स्थितियां और बिगड़ने के आसार हैं. दरअसल, ईरान के तेल निर्यात में कमी देखने को मिली है, जिसकी वजह से तेल की कीमतों में उछाल आया है. वहीं, पश्चिम एशिया में भी तनाव की वजह से क्रूड के दाम उछाल पर हैं. इसके अलावा सऊदी अरब ने यमन में जंग छेड़ी हुई है.
चालू खाता घाटे का बिगड़ेगा गणित
सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर निश्चित ही चिंतित होगी, लेकिन पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाना उसे भारी पड़ सकता है. दरअसल, अगर एक्साइज ड्यूटी कम की जाती है तो सरकार को चालू खाते का घाटा लक्ष्य से ऊपर निकल सकता है. ऐसे में सरकार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाकर अपने खजाने को अस्थिर नहीं करना चाहेगी.
पब्लिक एक्सपेंडिचर में कटौती
सीनियर एनालिस्ट अरुण केजरीवाल के मुताबिक, अगले साल चुनाव होने हैं, सरकार को इसे ध्यान में रखते हुए विकास कार्यों को देखने है. अगर सरकार पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी कट करती है तो उसका वित्तीय गणित बिगड़ सकता है. इसे पूरा करने के लिए उसे पब्लिक एक्सपेंडिचर यानी सार्वजनिक व्यय में कटौती करनी पड़ेगी. अगर ऐसा हुआ तो विकास कार्य बाधित हो सकते हैं और चुनाव के समय में सरकार ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहेगी.
9 बार बढ़ चुकी है एक्साइज ड्यूटी
मोदी सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच 9 बार उत्पाद शुल्क बढ़ाया है. जिससे पेट्रोल 11.77 प्रति लीटर और डीजल 13.47 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, सरकार ने अबतक सिर्फ पिछले साल अक्टूबर में 2 रुपए टैक्स कटौती की थी.